विश्व स्तरीय शिक्षा पर हुआ जोर उच्च शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्य- शिक्षण, शोध एवं प्रसार, वैश्विक पर्यावरण निर्माण का आधार निर्मित करना हैं। वर्तमान समय में व्यक्तिगत एवं सामाजिक प्रगति के लिए विश्वस्तरीय ज्ञान से युक्त होना तथा उसके अनुप्रयोग की क्षमता रखना अति आवश्यक है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात उच्च शिक्षा का प्रसार तीव्र गति से हुआ है, जिसके फलस्वरूप विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रदेश में उच्च शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु वर्तमान में 16 राज्य विश्वविद्यालय, 01 मुक्त विश्वविद्यालय, 01 डीम्ड विश्वविद्यालय, 27 निजी विश्वविद्यालय, 164 राजकीय महाविद्यालय, 331 अनुदान सूची पर अशासकीय महाविद्यालय तथा 6192 स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संचालित है।
स्व वित्त पोषित कोर्सांे पर होगा जोर स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के प्राचार्यों की नियुक्ति हेतु यूजीसी द्वारा निर्धारित 15 वर्ष की अर्हकारी सेवा तथा 400 एपीआई अंकों की अनिवार्य अर्हताओं में छूट प्रदान करने हेतु परिनियमों में संशोधन कर प्राविधान किये गये जिससे स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के प्राचार्य के रिक्त पदों पर तैनाती किया जाना सम्भव होगा। प्रदेश की 47 विधान सभा क्षेत्रों में मुख्यमंत्री की घोषणा के अन्तर्गत राजकीय महाविद्यालयों के निर्माण के लिए भूमि का चयन एवं स्थापना हेतु कार्यवाही की जा रही है। शिक्षकों के लिए असाधारण अवकाश के अतिरिक्त 05 वर्ष का अतिरिक्त विशेष अवकाश अनुमन्य किया गया है।
अब 140 नहीं 70 एकड़ में बन जाएंगे विश्वविद्यालय
प्रदेश सरकार द्वारा निजी क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु भूमि का मानक नगरीय क्षेत्र हेतु 40 एकड़ तथा ग्रामीण क्षेत्र हेतु 100 एकड़ निर्धारित था जिसे प्रदेश सरकार द्वारा संशोधित कर क्रमश: नगरीय क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में 20 एकड़ एवं 50 एकड़ कर दिया है। इस निर्णय से प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना अधिक संख्या में हो सकेगी तथा गुणवत्तापरक स्किल डेवलपमेण्ट युक्त शिक्षा प्राप्त हो सकेगी।