डा. भास्कर के अनुसार कि एचआईवी, संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध से, एचआईवी संक्रमित रक्त के चढ़ाए जाने से, संक्रमित सुईयों एवं सीरिंजों के साझा प्रयोग से तथा संक्रमित माँ से उसके होने वाले बच्चे में हो सकता है। एचआईवी सामाजिक एवं सामान्य मेलजोल से नहीं फैलता है। यह एक साथ घर में रहने से, हाथ मिलाने या गले मिलने से, संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों के पहनने से, शौचालय अथवा स्वीमिंग पूल के साझा प्रयोग से, साथ खाना खाने से, मच्छर या कीड़े मकोड़े के काटने से तथा चुम्बन से नहीं फैलता है ।
डा. भास्कर ने बताया- लगातार वजन का घटना, दस्त आना, खांसी आना, त्वचा में सामान्य खुजली की बीमारी, बार-बार छाले पड़ना(हर्पीज जोस्टर) , लम्बे समय तक फैलने वाले और गंभीर छाले एचआईवी के मुख्य लक्षण हैं। एचआईवी की स्थिति का पता लगाने के लिए एलाइजा टेस्ट किया जाता है। सभी सरकारी सुविधा केन्द्रों पर एचआईवी की जांच निःशुल्क उपलब्ध है। यदि कोई व्यक्ति एचआईवी जाँच में पॉजिटिव आता है तो मेडिकल कॉलेज/ जिला अस्पताल में एआरटी सेंटर में उसका पंजीकरण करा दिया जाता हैं जहां एचआईवी का निःशुल्क इलाज किया जाता है।
डा. भास्कर ने बताया कि विंडो पीरियड वह अवधि है जिसमें व्यक्ति संक्रमित होता है लेकिन जांच में संक्रमण दिखाई नहीं देता है । इस अवधि में शरीर में इतनी मात्रा में एंटीबॉडी नहीं बनती है कि वह खून में दिखाई दे । एचआईवी संक्रमण के बाद दिखने लायक मात्रा में एंटीबॉडी बनने में 6-12 हफ्ते और अभी-कभी छः महीने लगते हैं । एआरटी सेंटर द्वारा किये जाने वाले इलाज से एचआइवी पीड़ित व्यक्ति लम्बे समय तक जीवित रह सकता है । एआरटी जीवन भर चलने वाला इलाज है यदि व्यक्ति एआरटी द्वारा दी गयी दवाओं का नियमित रूप से सेवन करता है,संतुलित आहार और पौष्टिक भोजन लेता है तो वह सामान्य जीवन यापन कर सकता है।