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लखनऊ

भट्ठे की तरह जल उठा शहर, दो दिन बाद पारा पहुंचेगा 40 डिग्री पार

तापमान चढ़कर 40 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच जायेगा

लखनऊApr 05, 2016 / 04:35 pm

Santoshi Das

लखनऊ.अगर आप लखनऊ में रहते हैं तो आपके लिए आने वाले दिन कष्टकारी होने वाले हैं। तापमान चढ़कर 40 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच जायेगा। मौसम का मिजाज इस साल अधिक गर्म होने वाला है इसका असर अभी से दिखने लगा है। मंगलवार को चटख धूप निकली की लोगों का घर से निकलना दूभर हो गया। भीषण गर्मी में राहत पाने के लिए लोग तमाम उपाय अपना रहे हैं लेकिन गर्मी से निजात नहीं मिल रही। शुष्क हवाओं और तेज धूप बीमारी का जड़ बन रहा है।

आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया की अगले एक दो दिनों में तापमान 40 डिग्री से अधिक पहुंच जाएगा। उन्होंने बताया की तापमान में इस साल एक डिग्री अधिक बढ़ोतरी होने वाली है। ऐसे में लोगों के लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल होने वाला है।

गर्मी तोड़ेगा पिछले वर्ष का रिकॉर्ड
अमेरिकी एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक भारतीय शहरों का तापमान साल दर साल बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों के शोध पर यह बात सामने आई थी की भारत में 2014 में भीषण गर्मी पड़ी थी। गर्मी ने 135 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। वर्ष 2016 में भी रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ेगी। लखनऊ में पिछले वर्ष के मुकाबले 0 . 1 डिग्री तापमान में बढ़ोतरी की उम्मीद है। दिल्ली के तापमान में 1930 के बाद अब तक 0.3 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो चुकी है। जेपी गुप्ता ने बताया की बढ़ते तापमान के कारण कृषि से लेकर दूसरे इकोसिस्टम को प्रभावित कर रहा है।

जलवायु परिवर्तन से फसलों पर असर
वर्ष 2100 तक फसलों की उत्पादकता में 10-40 प्रतिशत की कमी आएगी।
रबी की फसलों को ज्यादा नुकसान होगा। प्रत्येक 1 से.ग्रे. तापमान बढ़ने पर 4-5 करोड़ टन अनाज उत्पादन में कमी आएगी।
पाले के कारण होने वाले नुकसान में कमी आएगी जिससे आलू, मटर और सरसों का कम नुकसान होगा।
बाढ़ में बढ़ोत्तरी होने की वजह से फसलों के उत्पादन में अनिश्चितता की स्थिति होगी।
फसलों के बोये जाने का क्षेत्र भी बदलेगा, कुछ नये स्थानों पर उत्पादन किया जाएगा।
खाद्य व्यापार में पूरे विश्व में असन्तुलन बना रहेगा।
पशुओं के लिए पानी, पशुशाला और ऊर्जा सम्बन्धी जरूरतें बढ़ेंगी विशेषकर दुग्ध उत्पादन हेतु।
समुद्रों व नदियों के पानी का तापमान बढ़ने के कारण मछलियों व जलीय जन्तुओं की प्रजनन क्षमता व उपलब्धता में कमी आएगी।
सूक्ष्म जीवाणुओं और कीटों पर प्रभाव पड़ेगा। कीटों की संख्या में वृ़द्धि होगी तो सूक्ष्म जीवाणु नष्ट होंगे।
वर्षा आधारित क्षेत्रों की फसलों को अधिक नुकसान होगा क्योंकि सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता भी कम होती जाएगी।

फसलों पर प्रभाव
कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के जो सम्भावित प्रभाव दिखने वाले हैं वे मुख्य रूप से दो प्रकार के हो सकते हैं-पहला क्षेत्र आधारित तथा दूसरा फसल आधारित। अर्थात विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर अथवा एक ही क्षेत्र की प्रत्येक फसल पर अलग-अलग प्रभाव पड़ सकता है। गेंहूं और धान हमारे देश की प्रमुख खाद्य फसलें हैं। इनके उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ रहा है।
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