लखनऊ पुलिस ने की नकद सहायता
उत्तर प्रदेश देवरिया जिला के मूल निवासी सूर्य प्रताप शर्मा ने आर्म रेसलिंग (पंजा कुश्ती) के खेल में देश-विदेश में अपना परचम लहरा रखा है। सूर्य प्रताप ने बताया कि वह डेढ़ साल की उम्र से पोलियों की वहज़ से विकलांग हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 2013 से लगातार चार बार सूर्य प्रताप आर्म रेसलिंग में राष्ट्रीय स्तर के चैंम्पियन हैं। अब उन्होंने नवंबर में ही वर्ल्ड आर्म रेसलिंग वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने के लिए पोलैंड जाना है। लेकिन उन्हें मलाल था कि विकलांगों को हमेशा अच्छे स्पॉन्सर नहीं मिलते हैं। साथ ही आर्थिक दवाब से परेशान थे। लेकिन उनकी यह परेशानी लखनऊ जिले के एसएसपी दीपक कुमार के कानों तक पहुंच गई। इसके बाद एसएसपी दीपक कुमार ने उन्हें अपने पास बुलाया। सूर्य प्रताप शर्मा के मेडल देखने के बाद उन्होंने फौरन 50 हजार रुपये की सहयोग राशि दी।
एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि सूर्य के बारे में सुना था। इसके बाद मेरे व लखनऊ पुलिस के करीब 100 पुलिसकर्मियों द्वारा 50 हजार रुपये की सहयोग राशि का इंतजाम किया गया। यह राशि गुरुवार को प्रतिभाशाली खिलाड़ी को ससम्मान दी गई। ताकि वह अपने खेल को और आगे बढ़ा सकें।
एमबीए किया पास अब पीएचडी करने की चाह
सूर्य प्रताप शर्मा ने बताया कि उसने 2013 में देवरिया से लखनऊ आए और डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में एमबीए में दाखिला लिया। उनका एमबीए का कोर्स पूरा हो चुका है। अब वह अपने खेल के साथ ही मैनेजमेंट में पीएचडी करने की तैयारी भी कर रहे हैं।
दुख की बात नहीं मिलते हैं स्पॉन्सर
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी सूर्य प्रताप शर्मा को अपने विकलांग होने से भी ज्यादा मलाल लोगों की विकलांग सोच पर है। उन्होंने कहा कि आज भी विकलांग खिलाड़ियों को अच्छे और स्थाई स्पॉन्सर नहीं मिल रहें हैं। उन्होंने कहा, देश में प्रतिभाएं इनती है कि हम विदेशी खिलाड़ियों को भी पीछे छोड़ सकते हैं। लेकिन हमारी मदद को लोग तैयार नहीं। यह बेहद दुखद बात है। उन्होंने बताया कि पोलैंड के जाने के लिए करीब 2.80 लाख रुपये का खर्च आने वाला है।
इंस्पेक्टर और करीबी दोस्तों का एहसान
लखनऊ के सरोजनी नगर थाने में तैनात इंस्पेक्टर डीके शाही ने ही एसएसपी दीपक कुमार के कानों तक इस खिलाड़ी का दास्तां पहुंचाई। दरअसल देवरिया के रहने वाले डीके शाही पहले ही सूर्य प्रताप का खेल वहीं देख चुके थे। उन्हें जब सूर्य के लखनऊ में होने के साथ आर्थिक संकट में होने का पता चला तो उन्होंने एसएसपी को यह बात बताई। इसके बाद फौरन लखनऊ पुलिस ने मिलकर सूर्य की मदद का जिम्मा उठाया। वहीं सूर्य लखनऊ पुलिस के साथ अपने करीबी दोस्तों के एहसान मानते हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में ही पीएचडी कर रहे सीनियर आजद प्रताप सिंह ने उन्हें यहां तक पहुंचा। आर्थिक मदद से लेकर मानसिक रुप से मजबूत करने का श्रेय उन्हीं को दिया।
ओलंपिक में कम कुछ भी नहीं
सूर्य प्रताप ने कहा कि उनका सपना है कि वह देश के लिए कुछ करें। वह एमपीए व पीएचडी हो जाने के बाद भी सबसे पहले देश के लिए ओलंपिक में पदक लाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि इस बार पोलौंड की 17 से 22 नवंबर के बीच होने वाली प्रतियोगिता में करीब सौ देश हिस्सा लेने वाले हैं।
पिता की मौत से सदमा लेकिन नहीं रूका विजय रथ
सूर्य के पिता मुनीब शर्मा गन्ना विभाग में लेखा सहायक के पद पर कार्यरत थे। लेकिन साल 2015 में उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने इसी साल दो गोल्ड मेडल जीतकर पिता को श्रृद्धंजलि दी। इसके बाद वह अपने खेल को लगातार आगे बढ़ाते जा रहे हैं।