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लखनऊ

Corona Alert : संक्रमित माताएं न घबराएं, बच्चे की मदद को सीडब्ल्यूसी को बुलाएँ

परिवार की अकेली माताओं के छोटे बच्चों की मदद कर सकती है समिति  

लखनऊMay 19, 2020 / 04:08 pm

Ritesh Singh

Corona Alert : संक्रमित माताएं न घबराएं, बच्चे की मदद को सीडब्ल्यूसी को बुलाएँ

Corona Alert : संक्रमित माताएं न घबराएं, बच्चे की मदद को सीडब्ल्यूसी को बुलाएँ

लखनऊ, गोद में दुधमुंहा बच्चा है और आप सर्दी, जुकाम व बुखार से पीड़ित हैं या यूं कहें कि आप में कोरोना संक्रमण जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं । ऐसे में चिकित्सकों ने क्व़ारन्टाइन रहते हुए लंबे उपचार की सलाह दी है लेकिन आपकी मुश्किल यह है कि बच्चे की देखभाल करने वाला परिवार में कोई दूसरा नहीं है । ऐसे में आपके दुधमुंहे की देखभाल कौन करेगा, इससे घबराने और परेशान होने की कतई जरूरत नहीं है । ऐसे मुश्किल वक्त में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) आपके बच्चे की पूरी देखभाल कर सकती है ।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी का कहना है यदि कोरोना संक्रमित कोई महिला जिलाधिकारी के माध्यम से मांग करती है कि उसके इलाज के दौरान बच्चे की देखभाल की व्यवस्था की जाए क्योंकि उसके परिवार में कोई भी ऐसा नहीं है जो बच्चे की देखभाल कर सके । इस मांग पर जिलाधिकारी बाल कल्याण समिति को इस बारे में आदेशित कर सकते हैं । इसके बाद समिति बच्चे की समुचित देखभाल के लिए शिशु गृह या किसी सामाजिक संस्था को सौंप सकती है । उनका कहना है कि चूँकि बच्चे की मां संक्रमित है, ऐसे में बच्चे को भी शुरू में क्वारन्टाइन जैसी ही व्यवस्था देनी होगी । अगर बच्चा बड़ा है तो बालक को बाल गृह और बालिका को बालिका गृह में समुचित देखभाल के लिए भेजा जा सकता है ।
डॉ. चतुर्वेदी का कहना है कि बाल अधिकारों की रक्षा और उनके संरक्षण के लिए ही आयोग का गठन किया गया है । किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2000 के तहत भी बच्चों के समुचित देखभाल और संरक्षण का अधिकार आयोग को प्राप्त है । इसके तहत दो ऐसे निकाय हर जिले में स्थापित किये गए हैं जिसमें जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) शामिल हैं, जो बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के प्रति समर्पित हैं । हालाँकि इस एक्ट में सन 2015 में कुछ बदलाव भी किये गए । इसी के तहत प्रत्येक जिले में बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए चार सदस्यीय बाल कल्याण समिति का गठन किया गया है । समिति में एक महिला का होना आवश्यक है । इसी समिति के निर्देशन में शिशु गृह, बाल गृह औरबालिका गृह का संचालन किया जाता है। शिशु गृह में तीन साल तक की उम्र के बच्चों को लिया जाता है। इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए बालगृह बालक और बालगृह बालिका हैं। बाल अधिकारों के विशेषज्ञ तुषार श्रीवास्तव का भी कहना है कि यदि किसी महिला की गोद में दुधमुंहा बच्चा है और महिला में कोरोना जैसे लक्षण हैं तो दोनों को क्व़ारन्टाइन होना पड़ेगा । जांच में यदि वह महिला कोरोना पॉजिटिव पाई जाती है तो उसे लंबे उपचार की जरूरत होती है ।ऐसे में महिला के घर में बच्चे की देखभाल करने वाला कोई नहीं है, तो उस बच्चे को शिशु गृह में भेजा जा सकता है और बाल कल्याण समिति उस बच्चे की समुचित देखभाल करेगी।
सावधानी बरतें प्रसूताएं

कोरोना वायरस के संक्रमण के इस दौर में तमाम माताएं बच्चों को जन्म दे रही हैं । ऐसे में उन्हें अपने साथ ही अपने दुधमुंहे की भी चिंता सताती है । इस संबंध में गर्भवती महिलाओं और जच्चा-बच्चा को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं । उसके अनुसार यदि कोई मां कोरोना से संक्रमित हो तो उसके बच्चे को मां से तब तक अलग रखा जाना चाहिए, जब तक कि वह पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाती है । आईसीएमआर के अनुसार यदि गर्भवती को सर्दी, जुकाम, बुखार या सांस लेने में तकलीफ की शिकायत है अथवा कोरोना वायरस या इससे संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने का संदेह है, तो तुरंत ही चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए । कोरोना संक्रमण काल में प्रसूताओं को विशेष साफ-सफाई रखनी चाहिए । वह सदैव मास्क पहनकर रहें। नवजात को उठाने से पहले और बाद में हाथ जरूर धोएं । गर्भवती और प्रसूताएं कम से कम लोगों के संपर्क में रहें । संभव हो तो अलग बाथरूम का इस्तेमाल करें । यदि बाथरूम साझा हो तो इस्तेमाल करने से पहले उसे सेनेटाइज जरूर करें।
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