उन्होंने बताया की अंतर्रष्ट्रीय नृत्य दिवस का शुभारंभ 29 अप्रैल 1982 को हुआ। यह दिवस रिफ़ोर्मर जीन जॉर्ज नावेरे के जन्म स्मृति में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि लगभग 2000 वर्ष पूर्व देवताओ के कहने पर ब्रम्हाजी ने नृत्य वेद की रचना की, उसी समय से नृत्य की उत्पत्ति मानी जाती है, इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, ऋग्वेद और यजुर्वेद की कई चीज़े शामिल हैं।
सरिता सिंह ने बताया कि पूरी दुनिया में विश्व नृत्य दिवस पर तमाम तरह के कार्यक्रम होते हैं, जैसे नुक्कड़ नाटक, प्रदर्शनी और नृत्य सन्ध्या। लेकिन कोरोना के इस दौर मे यह सम्भव नही है। उन्होने बताया की यह व्यायाम का सर्वोत्तम रूप है। नृत्य के महत्त्व को आमजन मानस तक पहुंचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है।
उन्होने बताया कि नृत्य करने के कई फायदे हैं जैसे इससे पेट की चर्बी कम होती है, वजन यानी मोटापा कम होता है, रात को गहरी नींद आती है, टेंशन कम होती है, रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है, ब्लड प्रेशर कम होने मे मदद मिलती है, आलस दूर होता है, बॉडी फ्लेक्सीबुल रहती है और हड्डी मजबूत होती है।