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लखनऊ

यूपी की गर्मी नहीं सह पा रहे कश्मीरी कैदी, की अपने राज्य की जेलों में वापस भेजे जाने की मांग

करीब 285 कैदी आगरा, लखनऊ, वाराणसी, नैनी, बरेली और अंबेडकरनगर की जेलों में हैं बंद
 
 

लखनऊSep 23, 2019 / 03:52 pm

Ruchi Sharma

यूपी की गर्मी नहीं सह पा रहे कश्मीरी कैदी, की अपने राज्य की जेलों में वापस भेजे जाने की मांग

यूपी की गर्मी नहीं सह पा रहे कश्मीरी कैदी, की अपने राज्य की जेलों में वापस भेजे जाने की मांग

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की जेल में लाए कश्मीरी कैदियों को अब यहां का मौसम व उसम सताने लगा है। यूपी की उमस भरी गर्मी से निजात पाने के लिए कैदियों ने अपने राज्य की जेलों में वापस भेजे जाने की मांग कर दी है। अवसादग्रस्त और मैदानी इलाके की गर्मी और उमस भरे मौसम को सहन करने में ये असमर्थ हैं। जेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक उनमें से कई का कहना है कि उत्तर प्रदेश का मौसम उनके शरीर के अनुकूल नहीं है। उन्हें भूख नहीं लगती और वे अवसाद से पीड़ित हैं। जानकारी के मुताबिक कश्मीरी कैदियों ने पेट में दर्द की भी शिकायत की है। डॉक्टरों से उपचार की सुविधा लेने से पहले उन्हें अल्ट्रासाउंड परीक्षणों से गुजरना पड़ा।
इनमें से कुछ कैदियों पर आजादी-समर्थक प्रदर्शनकारी होने का आरोप लगा है या ‘संभावित पत्थरबाज’ करार दिया गया है। उनके खिलाफ उनके राज्य में पुलिस मामले का कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए उन्हें आदतन परेशान करने वाला आरोपी नहीं माना जाना चाहिए।
285 कैदियों को लाया गया था कश्मीर

6 अगस्त को जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद कुल 285 कैदियों को कश्मीर से आगरा, लखनऊ, वाराणसी, नैनी (इलाहाबाद), बरेली और अंबेडकरनगर की जेलों में ले जाया गया था।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामलों की सुनवाई

अधिकारी ने कहा कि मौजूदा समय में, जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट की ओर से गठित एक सलाहकार बोर्ड उनके मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए कर रहा है। पिछले दो हफ्तों में कश्मीर के कुछ मुट्ठीभर लोगों को जेल में बंद अपने रिश्तेदारों से मिलने की इजाजत दी गई है। अधिकारियों के मुताबिक, वे बहुत से रिश्तेदारों को कश्मीरी कैदियों से मिलने की इजाजत नहीं दे सकते थे, क्योंकि ‘उनके सर्टिफिकेट्स को वेरिफाई करने में बहुत ज्यादा समय लगता है’। वहीं घाटी में कम्युनिकेशन लॉकडाउन की वजह से कैदी कश्मीर में रह रहे अपने परिवार वालों से संपर्क भी नहीं कर पा रहे हैं।

पिछले दो हफ्तों में कश्मीर के कुछ मुट्ठीभर आगंतुकों को जेल में बंद अपने रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, वे बहुत से रिश्तेदारों को कश्मीरी कैदियों से मिलने की इजाजत नहीं दे सकते थे, क्योंकि ‘उनके प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने में बहुत अधिक समय लगता है।

गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद जम्मू एवं कश्मीर से बड़ी संख्या में कैदियों को उत्तर प्रदेश के जिला जेल में स्थानांतरित किया गया था। इन कैदियों को आतंकवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के मामलों में गिरफ्तार किया गया था। खास बात यह थी कि इन सभी इन सभी कैदियों को अलग-अलग बैरकों में रखा गया है।

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