scriptयूपी में लैंड पूलिंग नीति को हरी झंडी, जमीन मालिकों के लिये कई फायदे | Land Pooling Policy Approved in Uttar Pradesh | Patrika News
लखनऊ

यूपी में लैंड पूलिंग नीति को हरी झंडी, जमीन मालिकों के लिये कई फायदे

लैंड पूल नीति से औद्योगिक विकास में अब स्वेच्छा से भागीदार बन सकेंगे भू-स्वामी।
जमीन मालिकों को होगी नियमित आय, मिलेगी 25 फीसदी विकसित भूमि।

लखनऊSep 23, 2020 / 05:19 pm

रफतउद्दीन फरीद

cm yogi adityanath

सीएए के समर्थन में रैली कल,योगी आदित्यनाथ सहित कई दिग्गज आएंगे, चप्पे चप्पे पर तैनात रहेगी पुलिस

लखनऊ. उत्तर प्रदेश को देश का बेस्ट इंडस्ट्रियल स्पाॅट बनाने और उद्यमियों के लिये उद्योग लगाने की राह को निरंतर आसान बनाने के लिये योगी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। ऐसे नियम कायदे बनाए जा रहे हैं कि देश ही नहीं दुनिया भर से उद्यमी यूपी आएं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में कैबिनेट बाईसर्कुलेशन औद्योगिक विकास विभाग की लैंड पूलिंग नीति को मंजूरी दे दी गई है। इससे उद्योगों के लिये जमीन जुटाने में आसानी हागी और भू स्वामियों को भी इसका फायदा मिलेगा। पाॅलिसी के तहत भू स्वामी स्वेच्छा से औद्योगिक विकास में भागीदार बन सकेंगे। उनसे ली गई जमीन की 25 प्रतिशत जमीन विकसित करने के बाद उन्हें वापस मिल जाएगी, जिसे उन्हें किसी को हस्तांतरित करने की छूट होगी।

 

लैंड पूल नीति इस तरह बनाई गई है कि जमीन के मालिक खुद आगे आकर अपनी जमीनें देने के लिये आकर्षित होंगे। इस नीति के मुताबिक औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा कम से कम 25 एकड़ वही जमीन ली जाएगी जो उसके मास्टर या जोनल प्लान के तहत 18 मीटर रोड के आसपास होगी और जिसके लिये 80 परसेंट जमीन मालिक स्वेच्छा से अपनी जमीनें देने को तैयार होंगे। 20 प्रतिशत भूमि भू-अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 व अन्य कानूनी तरीकों से ली जाएगी।

 

इस नीति में जमीन मालिकों का पूरा खयाल रखा गया है। भू स्वामी को पांच साल में जब तक विकसित भूमि नहीं मिलती तब तक फसल व पुनर्वासन के लिये 5000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से हर महीने क्षतिपूर्ति के तौर पर मुआवजा मिलेगा। बाई बैक के तहत जमीन मालिक आवंटित भूमि को पांच साल के बाद संबंधित प्राधिकरण को उस समय के भू उपयोग के लिये लागू दर के 90 प्रतिशत दर पर वापस कर सकेंगे।

 

जमीन देने वाले मालिकों को उनके द्वारा दी गई कुल भूमि की 25 प्रतिशत भूमि लाॅटरी के जरिये आवंटित होगी। इसमें 80 फीसदी (न्यूनतम 450 स्क्वायर मीटर) औद्याेगिक उपयोग वाली विकसित भूमि होगी। 12 फीसदी (न्यूनतम 72 स्क्वायर मीटर) आवासीय और बाकी आठ फीसद (न्यूनतम 48 स्क्वायर मीटर) काॅमर्शियल लैंड यूज वाली डेवेलप लैंड होगी। परियेाजना में जो भी भवन आएंगे उनका मूल्यांकन पीडब्ल्यूडी की दर से होगा और उसी आधार पर मालिकों को धनराशि दी जाएगी। जमीन मालिकों को अपने पक्ष में विकसित हुई जमीन के आवंटन या पट्टे पर किसी तरह की स्टांप ड्यूटी नहीं देनी होगी। वह इन जमीनों को सबलीज या हस्तांतरण डीड कर सकेंगे, लेकिन उस पर उन्हें स्टांप ड्यूटी देनी होगी।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो