यूपी सरकार कोविड ड्यूटी पर मरने वालों के आश्रितों को देगी 50 लाख रुपए सरकारी आंकड़ें कुछ श्मशान के कुछ :- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने प्रशासनिक आंकड़ों को तथ्यों सहित झुठलाते हुए कहा कि, प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार लखनऊ में 3 मई तक एक सप्ताह में केवल 276 मृत्यु दर्ज हुईं, जबकि श्मशान घाट के रिकॉर्ड के अनुसार इस दौरान लखनऊ में 400 मृतकों के अंतिम संस्कार हुए। वहीं, कानपुर में 24 अप्रैल तक एक सप्ताह में 66 मृत्यु (प्रशासनिक आंकड़ा) दर्ज हुई, जबकि श्मशान घाट में जलाई गई चिताओं का आंकड़ा 462 था। गाजियाबाद में 18 अप्रैल तक एक सप्ताह में कई मौतें हुईं, जिनमें से 17 अप्रैल को एक भी मौत सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं हुई। लेकिन, पड़ताल करने पर श्मशान में रोजाना 50 से ज्यादा शव जलने की बात सामने आई। आगरा में 17 अप्रैल का सरकारी आंकड़ा 4 मौतों का है, लेकिन आगरा के केवल ताजगंज शमशान घाट में 47 चिताएं जली। बिजनौर के 4 दिनों में एक भी मौत सरकारी कागजों में दर्ज नहीं हुई, लेकिन यहां के श्मशान में 100 मृत्यु व अंतिम संस्कार का पता चला।
हमीरपुर में दर्जनों लाशें तैरती देखी गयीं :- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बताया कि, 7 मई को हमीरपुर क्षेत्र में यमुना नदी में दर्जनों लाशें तैरती देखी गयीं। लोगों का मानना है कि श्मशान घाट में जगह न मिलने के कारण परिजनों ने यह शव यमुना में बहा दिए। अगले दिन इन शवों को कुत्ते खाते मिले। श्मशान घाटों में पड़ताल करने पर पता लगा कि वहां शवों के अंतिम संस्कार के लिए पूरे दिन लाइन में अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे हृदय-विदारक दृश्य मानवता को शर्मसार करने व सरकार की विफलता प्रमाणित करने के लिये पर्याप्त है।
आंकड़ों में प्रदेश सरकार कर रही हेरफेर :- अजय कुमार लल्लू ने कहाकि, राज्य सरकार के स्थानीय प्रशासन ने सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में हेर-फेर कर मौतों की संख्या आंकड़ों में कम बताकर झूठ बोलने का पाप किया है। इसी तरह वह टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट व टीकाकरण के आंकड़ों में हेरफेर कर गलत तथ्य प्रस्तुत कर सब व्यवस्थित होने का फर्जी दावा कर रही है जबकि सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश में सब कुछ अव्यवस्थित है। आंकड़ों में हेरफेर का मामला सामने आने पर जब उच्च न्यायालय ने गलत आंकड़ें पेश करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई, तब कई और ऐसे मामले सामने आए।