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लखनऊ

कोरोना काल में यूपी के इन चार नेताओं का हाल, बयानवीर तक ही सीमित नहीं, कभी सरकार की ठोंकी पीठ कभी दिखाया आइना

उत्तर प्रदेश में कोराना वायरस से लगे लॉकडाउन को तकरीबन एक माह बीत गया है। इस दौरान प्रदेश सभी पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने कोरोना की गंभीरता को समझा और सरकार की आलोचना के साथ तमाम मुद्दों पर उसका साथ दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो बतौर सीएम अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं वहीं विपक्षी नेता भी प्रदेश के कोने कोने में क्या चल रहा है, क्या अच्छा हुआ, क्या बुरा हुआ सरकार को आइना दिखाने के साथ उसकी पीठ भी ठोंक रहे हैं।

लखनऊApr 26, 2020 / 05:28 pm

Mahendra Pratap

20 से ज्यादा मरीजों वाले जिलों में तैनात होंगे दो नोडल ऑफिसर, शासन को रिपोर्ट कराएंगे उपलब्ध

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोराना वायरस से लगे लॉकडाउन को तकरीबन एक माह बीत गया है। इस दौरान प्रदेश सभी पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने कोरोना की गंभीरता को समझा और सरकार की आलोचना के साथ तमाम मुद्दों पर उसका साथ दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो बतौर सीएम अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं वहीं विपक्षी नेता भी प्रदेश के कोने कोने में क्या चल रहा है, क्या अच्छा हुआ, क्या बुरा हुआ सरकार को आइना दिखाने के साथ उसकी पीठ भी ठोंक रहे हैं।
काम जारी है :- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कोरोना वायरस से अपने प्रदेशवासियों की रक्षा के लिए पूरी तरह से तत्पर हैं। कोरोना वायरस को किस तरह से खात्म किया जाए यह उनकी प्राथमिकता में बना हुआ है। लॉकडाउन में जनता को कोई परेशानी न हो जाएं इसके लिए अपनी टीम 11 संग सुबह—शाम बैठक कर तत्काल उसका निराकरण कर रहे हैं। साथ ही इन सभी जानकारी को ट्विटर से ट्विट कर जनता तक अपने फैसले को पहुंचाने का काम भी करते हैं। एक माह में किए योगी के फैसले देश में कई जगह सराहे गए। हॉटस्पाट का फैसला अन्य राज्यों के लिए नजीर बना। कई विपक्षी नेताओं के सुझाव और उनकी सलाह पर गौर कर उसे चर्चा के बाद लागू किया। अपने ही नहीं विपक्षी नेताओं से भी इन फैसलों के लिए बधाई और धन्यवाद मिला। श्रमिकों, गरीबों, सड़क किनारें भूखे प्यासों, किसानों, कोटा छ़ात्रों और अब अन्य प्रदेश में रह रहें श्रमिकों की घर वापसी के फैसले तुरंत किए गए हैं। कुछ फैसलों में सख्ती भी दिखाई गई है।
कोरोना काल में यूपी के इन चार नेताओं का हाल, बयानवीर तक ही सीमित नहीं, कभी सरकार की ठोंकी पीठ कभी दिखाया आइना
जरा चूक पर सरकार को घेरा:- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले एक महीने से अपने ट्विटर अकांउट के जरिए कोरोना वायरस और लॉकडाउन के समय हो रही परेशानियों और सरकार के चलाए जा रह राहत कार्यक्रमों पर नजर रखे हुए हैं। जरा सी चूक पर जहां सरकार को घेरते हैं वहीं जनता की परेशनियों को देखकर उसकी आवाज बन जाते हैं। उन्होंने पहले ही दिन से ही सरकार से डब्ल्यूएसओ की गाइडलाइन के पालन करने की बात कहीं नर्स, वार्ड-स्टाफ़, लैब टेक्नीशियन, ऑपरेटरों, ऑफिस-एडमिन स्टाफ़, स्वच्छता व सुरक्षाकर्मियों को भी तुरंत प्रोटेक्शन किट उपलब्ध कराने की मांग की। जनता को भी यह संदेश दिया कि भेदभाव व मतभेद छोड़कर एकजुट हों। श्रमिकों, भूखे प्यासों के लिए भोजन की मांग की। साथ ही ऑन लाइन ई-पास बनाने की राह सुझाई। अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस दौर में मदद करने को कहा। राशन को मोबाइल दुकानों से वितरण करवाने को कहा। मरीज़ों की सेवा में लगे 50 से भी अधिक डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों के कोरोनाग्रस्त होने की सूचना की तरफ सरकार का ध्यानाकर्षण किया। कोरोनाकाल में वायरस से पीड़ित होने के लक्षण दिखें उन्हें स्वयं जांच के लिए आगे आने की बात कही। सरकार को ‘राशन वितरण’ में अनियमितताओं पर तुरंत संज्ञान लेने को कहा। सरकार से कई प्रश्नों के उत्तर मांगे साथ ही सरकारी सेवकों के डीए पर पाबंदी का फैसला को तुरंत वापस लेने को कहा।
कोरोना काल में यूपी के इन चार नेताओं का हाल, बयानवीर तक ही सीमित नहीं, कभी सरकार की ठोंकी पीठ कभी दिखाया आइना
शुक्रिया से गुरेज नहीं किया :- कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कोरोना वायरस और लॉकडाउन के समय होने वाली दिक्कतों के लिए भुक्तभोगी की आवाज बनीं और इस दौरान होने वाली मांगों के पूरा होने पर यूपी सरकार को शुक्रिया कहने से भी गुरेज नहीं किया। लॉकडाउन में दिहाड़ी मजदूरों की आर्थिक मदद का मामला हो या दिल्ली—मुम्बई से पैदल ही अपने घर वापस आने का संघर्ष या फिर पशुपालकों के लिए सस्ते भूसे की मांंग हो। सभी मुद्दों को सरकार के ध्यान में लाने की कोई कसर नहीं छोड़ी। कुछ मसलों पर प्रियंका ने स्लोगन बनाकर सरकार का ध्यान उन पर लाने का प्रयास किया। बरेली में केमिकल वाले मुद्दे पर सरकार को आइना दिखते हुए कहाकि कृपा करके ऐसे अमानवीय काम मत करिए। ग्रामीण मजदूरों की जिंदगी में मनरेगा राहत ला सकता है, यह सलाह सरकार को दी। बांदा में नर्सों और मेडिकल स्टाफ तथा कोरोना वायरस टेस्टिंग की आवाज उठाई। प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेनें या बसों की व्यवस्था की अपील की। लखनऊ के चिकन कपड़ा उद्योग के व्यापारियों और मजदूरों के लिए राहत पैकैज मांगा। अन्य राज्यों में फँसे यूपी के कुछ मजदूरों को वापस लाने की पहल पर उप्र सरकार को साधुवाद भी दिया। आगरा की गंभीरता पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए उप्र में टेस्टिंग के लिए कुछ सुझाव साझा किया।
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माया ने सरकार के काम को सराहा :- बसपा सुप्रीम ने 24 मार्च से लेकर 22 अप्रैल तक करीब नौ ट्विट किए और कोरोना वायरस के बाद लॉकडाउन किए जाने की सरकार की योजना की प्रशंसा की। साथ इस दौरान बसपा सुप्रीमो ने कई मुद्दों पर सरकार का जहां साथ दिया तो कई जगह विरोध में आईं। लॉकडाउन से आम जनता और दिहाड़ी मजदूरों को रोजमर्रा वाली दिक्कतों से बचाने के लिए सरकार से सामान मुहैया कराने की अपील की। फिर चाहे मजदूर हों चाहे कोटा के छ़ात्रों के घर वापसी का मुद्दा हो सब पर बोली कि सरकार इन सब की मदद करे। सबसे बढ़िया उदाहरण यह रहा कि जिसमें बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने सभी सांसदों और विधायकों से अपनी निधि से कम से कम 1-1 करोड़ रुपए देने का निर्देश दिया। केंद्र सरकार से अपील की कि विश्व बैंक से मिले 100 करोड़ डालर की स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाए। मायावती ने सलाह दिया कि केंद्र व राज्य सरकार मिलकर काम करें और बीएसपी, सरकार के ऐसे सर्वजन हिताय के फैसलों का जरूर स्वागत करेगी। केंद्र व राज्य सरकार से कई बार अपील की कि राष्ट्रीय संकट की घड़ी में जाति, धर्म व दलगत राजनीति से ऊपर उठकर व कोई भी फैसला लेते समय खासकर गरीबों, कमजोर तबकों, मजदूरों व किसानों आदि के हितों व इनकी मदद का जरूर ध्यान रखें। कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझने वाले सभी डाक्टरों, नर्सों, सफाई व पुलिसकर्मियों तथा अप्रत्यक्षतौर पर ऐसी देशसेवा में लगे सभी लोगों के हर प्रकार के बचाव व पारिवारिक सुरक्षा आवाज को उठाया। कोटे के छात्र मुद्दे पर यूपी सरकार के कदम को स्वागत योग्य बताया। प्रवासी मजदूरों के मुद्दे को भी हल करने की बात को प्रमुखता से उठाया।

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