थोड़ी नर्वसनेस लेकिन जीत का भरोसा इस वेब सीरीज की शूटिंग के लिए वे देहरादून रवाना हो गई हैं। विशाखा ने बताया कि उन्होंने कभी ऐसे शो में पार्टिसिपेट नहीं किया इसलिए थोड़ी नर्वसनेस है लेकिन उन्हें वहां जो भी टास्क दिए जाएंगे उन्हें निभाने का पूरा प्रयास करेंगी। बता दें कि राजधानी के इंदिरा नगर में रहने वाली डॉ.विशाखा शुक्ला ने केजीएमयू से मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद नौकरी के बजाए पशुओं की केयर को ही अपना करियर चुना। वह एक दर्जन से ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स की रोजाना देखभाल करती हैं। इसके अलावा अपनी संस्था के जरिए दूसरे जानवरों की मेडिकल केयर भी करती हैं। वे स्ट्रीट डॉग्स को ही अपना दोस्त मानती हैं। उनका कहना है कि पशुओं से ज्यादा वफादार कोई नहीं हो सकता।
पशुओं के लिए डेडिकेशन विशाखा नवाबी टेल्स नाम की एक संस्था चलाती हैं। इस संस्था के जरिए पालतू व स्ट्रीट डॉग अडॉप्ट करने के कैंप लगाए जाते हैं। इसके अलावा वह मेडिकेयर की सारी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाती हैं। विशाखा के निर्देशन में कई युवा इस संस्था से जुड़े हैं। विशाखा के मुताबिक, ‘मैं रात-दिन जानवरों की केयर करती हूं, मुझे उनसे जु़ड़ा कोई भी केस पता चलता है तो रात भर नींद नहीं आती है।’ विशाखा के मुताबिक बैकयार्ड ब्रीडिंग पर रोक लगना बेहद जरूरी है।
देखें वीडियो छह स्ट्रीट डॉग्स को दी थी ट्रेनिंग विशाखा ने छह स्ट्रीट डॉग्स को एनिमल कम्यूनिकेशन लगभग ट्रेनिंग डेढ़ साल ट्रेनिंग दी है। यह सभी डॉग्स रेस्क्यू किए गए हैं। ये डॉग्स न सिर्फ नेत्रहीनों को रोड क्रॉस करवाएंगे बल्कि टॉयलेट ले जाने से लेकर उनके कई जरूरी काम निपटाएंगे। जी हां, ऐसा संभव करने का दावा किया है विशाखा ने। जिन छह कुत्तों को विशाखा ने ट्रेनिंग दी है उनके नाम-डूड, बेला, पीचिस, मायलो, डॉलर व बूज़ो हैं। इसके अलावा उन्होंने दो नेत्रहीनों से भी संपर्क किया है जिन्हें वह आजकल ट्रेनिंग दे रही हैं। विशाखा का दावा है कि उनकी ट्रेनिंग के बाद स्ट्रीट डॉग्स नेत्रहीनों को रास्ता दिखाएंगे।