याची का कहना था कि उसके प्लॉट के बगल में लगे मोबाइल टावर और फोरजी बेस ट्रांसमिटिंग स्टेशन को हटाया जाए। यह भी मांग थी कि मोबाइल टावर के रेडिएशन से होने वाले दुष्प्रभावों के बाबत टेलीकॉम विभाग को रिपोर्ट प्रकाशित करने का आदेश दिया जाए। लखनऊ हाई कोर्ट ने पूर्व में आशा मिश्रा केस में दिये गए आदेश को उल्लिखित करते हुए याची की दलीलों को अस्वीकार कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित उक्त आदेश में कहा गया था ऐसा कोई प्रामाणिक वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है, जिससे मोबाइल टॉवर के रेडिएशन से होने वाले नुकसान का प्रमाण मिल सके। इसलिए इस याचिका को खारिज किया गया है।