script15 महीने में तैयार हुई 3.6 किलोमीटर की लम्बी सुरंग, ऊपर बैठेंगे माननीय नीचे से गुज़रेगी मेट्रो | Lucknow metro underground route completed by ganga and gomti TBM | Patrika News
लखनऊ

15 महीने में तैयार हुई 3.6 किलोमीटर की लम्बी सुरंग, ऊपर बैठेंगे माननीय नीचे से गुज़रेगी मेट्रो

टीबीएम मशीन गंगा और गोमती ने एक साथ अपना सफर पूरा किया।

लखनऊApr 28, 2018 / 05:03 pm

Dikshant Sharma

Lucknow Metro Rail Corporation

Lucknow Metro Rail Corporation

लखनऊ. लखनऊ मेट्रो के अधिकारी, कर्मचारी और मीडिया के कैमरे, सभी की आँखें दीवार पर टिकी थीं। इंतज़ार था गंगा और गोमती, टनल बोरिंग मशीन के फाइनल ब्रेक थ्रू का। तेज़ आवाज़ आई, फिर पानी दिखा और देखते ही देखते दीवार पर दरारे पड़ी। दीवार टूटते ही दिखा 10 फिट रेडियस की टीबीएम मशीन का बड़ा पंखा। चारों ओर हूटिंग हुई तो स्नो स्प्रे छिड़क जश्न मनाया गया।
शनिवार को टीबीएम मशीन गंगा और गोमती ने एक साथ अपना सफर पूरा किया। इस पड़ाव के अंत के साथ टीबीएम द्वारा प्रदेश का पहला अंडरग्राउंड प्रोजेक्ट पूरा हुआ तो चारबाग से हज़रतगंज के बीच भूमिगत मेट्रो लाइन के लिए सुरंग भी तैयार हुई। इससे पहले, इन दोनों टीबीएम ने सचिवालय – हजरतगंज और सचिवालय-हुस्सैनगंज के बीच रिकॉर्ड समय में सुरंग बनाने का कार्य पूरा किया था।
दो महीने पहले पूरा कर लिया कार्य
एलएमआरसी ने 18 जनवरी, 2017 को सचिवालय से अपनी पहली भूमिगत (टनल) ड्राइव शुरू की थी और चारबाग से हजरतगंज के बीच 3.67 किमी लम्बी मेट्रो सुरंग को जून, 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। फ़िलहाल ये कार्य दो महीने पहले कर लिया है।
पूरा अंडर ग्राउंड रुट करीब 3.6 किलोमीटर का है। ज़मीन से 60 फिट नीचे और 20 फिट चौड़ी सुरंग में दौड़ेगी लखनऊ मेट्रो दौड़ेगी। ये पूरा रुट इस साल अंत तक तैयार होने की उम्मीद है। मार्च 2019 में इस रुट पर मेट्रो दौड़ने लगेगी। हुसैनगंज से गंज के बीच वो स्थान भी है जहां राज्य के माननीय बैठते हैं यानी विधानसभा और सचिवालय। मुख्यमंत्री कार्यालय भी इसी रुट पर जिसके नीचे से मेट्रो गुज़रेगी।
क्या है इन अंडरग्राउंड स्टेशन की लंबाई
हुसैनगंज भूमिगत स्टेशन -302 मीटर
सचिवालय स्टेशन – 278 मीटर
हजरतगंज भूमिगत स्टेशन -529 मीटर
कुल प्रोजेक्ट -3.67 किमी

काम नहीं था आसान, ऑक्सीजन की रहती थी कमी
ज़मीन से 18 मीटर नीचे होने के चलते ऑक्सीजन का लेवल कम रहता था। इसकी वॉल्यूम 20.9 मिलीग्राम पैरा मीटर क्यूब रखने के लिए आर्टिफीसियल कंप्रेसर के ज़रिये हवा टनल में पहुंचाई जाती है। ये कार्य आसान नहीं था क्योंकि वॉल्यूम कम होने से कर्मचारी बेहोश हो सकते हैं।
जीआईएस की मदद से तैयार हुई टनल
गंगा और गोमती दोनों ही टनल बोरिंग मशीन फुल्ली आटोमेटिक है। इन्होने जीआईएस सिस्टम के सहारे टनल बनाने का कार्य पूरा किया है। जीआईएस सिस्टम में लोंगिट्यूड और लैटीट्यूड के सहारे काम किया जाता है। औसत तौर पर एक दिन में 8.4 मीटर सुरंग खोदी जाती है।

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