इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की क्यूरेटिव याचिका पर खुली अदालत में बहस की मांग की गई है। याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट अपने 9 नवंबर 2019 के आदेश पर रोक लगाए, जिसमें कोर्ट ने विवादित जमीन का फैसला “रामलला” के हक में दिया था। राम जन्मभूमि मामले में ये दूसरी क्यूरेटिव याचिका दाखिल की गई है। इससे पूर्व, उत्तर प्रदेश की पीस पार्टी ने 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 18 पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी। पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। पुनर्विचार याचिकाओं के खारिज होने के बाद पीस पार्टी ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने का फैसला लिया था।
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला को दे दिया, जबकि सुन्नी वफ्फ बोर्ड को अयोध्या में ही अलग जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।
क्यूरेटिव पिटीशन : क्यूरेटिव पिटीशन (उपचार याचिका) पुनर्विचार (रिव्यू) याचिका से थोड़ा अलग होता है। इसमें फैसले की जगह पूरे केस में उन मुद्दों या विषयों को चिन्हित किया जाता है जिसमें उन्हें लगता है कि इन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।