क्यूरेटिव पिटीशन किसी भी केस का आखिरी दांव है। इस पर फैसला आने के बाद सभी रास्ते बंद हो जाते हैं। क्यूरेटिव पिटीशन तब दाखिल किया जाता है जब किसी मुजरिम की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है।
इससे पहले अयोध्या विवाद पर आए फैसले के खिलाफ दाखिल 18 पुनर्विचार याचिकाओं को 12 दिसंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इन चैम्बर (बंद दरवाजे में) सुनवाई कर खारिज कर दी थी। अयोध्या मामले में पीस पार्टी के डॉक्टर अय्यूब ने 9 नवंबर के फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की है। उनका कहना है कि पहले आया हुआ फैसला आस्था के आधार पर लिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या विवाद पर दिए गए फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन को रामलला को देने का आदेश दिया है। साथ ही तीन महीने के अंदर राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट के गठन का भी निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन के बदले मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया था।