उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता में संशोधन:- यूपी शासन ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (तृतीय संशोधन) नियमावली, 2020 की मंजूरी के बाद 46 कॉलम अब आठ भागों में बंटे होंगे। पहले भाग में एक से पांच तक के कॉलम खतौनी से स्वत: जेनरेट हो जाएंगे। भाग-2 में सिंचाई साधनों को फसलवार अंकित किया जाएगा। भाग-3 में दैवी आपदा से प्रभावित फसल के क्षेत्रफल को अंकित किया जाएगा। भाग-4 में वृक्षों की स्थिति, भाग-5 में गैर कृषिक घोषित भूमि और उसके उपयोग को दर्शाया जाएगा। भाग-6 में पट्टे की भूमि का विवरण, भाग-7 में दो फसली भूमि का ब्योरा और भाग-8 में ऐतिहासिक महत्व के स्थल समेत कई विवरण दिखाए जाएंगे।
पैमाइश में सहमति पर नोटिस जरूरी नहीं :- नियमावली के नियम 27 में संशोधन कर खतौनी के प्रारूप को भी बदल कर उसे कंप्यूटर फ्रेंडली बनाया गया है। अब खतौनी में 14 के स्थान पर 19 कॉलम होंगे। नियम 101 की नई व्यवस्था में एसडीएम जमीन की अदला-बदली के प्रस्ताव को शासन को भेज सकेंगे। राजस्व संहिता नियमावली के नियम 22 में संशोधन के जरिये भूमि की पैमाइश की व्यवस्था को सरल बनाया गया है। सीमावर्ती खातेदाराेेें की सहमति पर पैमाइश के मुकदमे में नोटिस जरूरत नहीं होगी।
अविवादित वरासत ऑनलाइन होगी दर्ज :- नियम 31 में संशोधन कर अविवादित वरासत को ऑनलाइन दर्ज करने की प्रक्रिया तय की गई है। नियम 16 में संशोधन के जरिये गांवों के सीमांकन के लिए लगाये जाने वाले पिलर पर अक्षांश-देशांतर आधारित 19 अंकों के कोड के इस्तेमाल की व्यवस्था की गई है। कृषि भूमि को गैर खेती की घोषित करने के लिए चहारदीवारी जरूरी नहीं होगी। इससे परियोजनाओं के लिए जमीन मिलने में तेजी आएगी।