उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव 2020 में और देरी होगी, प्रधान प्रत्याशी बैचेन
जानिए इस वजहों से पिछड़ रही है तैयारी

लखनऊ. उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव 2020 का इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है। पर लगता है कि पंचायत चुनाव देरी से होंगे। वजह साफ है पंचायतों के पुर्नगठन और परिसीमन। इन दो कारणों की वजह से यूपी ग्राम पंचायत चुनाव में देरी होने की पूरी पूरी आशंका है। ऐसा माना जा रहा था कि यूपी सरकार अप्रैल मई माह में चुनाव करा देगी पर अब तो लगता है कि यह पंचायत चुनाव जून जुलाई में होंगे।
6 नवम्बर को जारी हुआ शासनादेश :- उत्तर प्रदेश में पंचायतों के पुर्नगठन और परिसीमन का पूरा नहीं हो पा रहा है। जिस वजह से पंचायत चुनाव पिछड़ रहे हैं। मुरादाबाद, गोण्डा और सम्भल जिलों की पंचायतों के पुर्नगठन का शासनादेश यूपी सरकार ने अभी 6 नवम्बर को जारी किया है। वर्ष 2015 में हुए पंचायत चुनाव में इन तीन जिलों में राजनीतिक विवाद की वजह से पंचायतों का पुनर्गठन नहीं हो सका था। जो जैसा था उसी आधार पर चुनाव करा कर प्रधानों को चुन लिया गया था।
मार्च का महीना लग जाएगा :- यूपी सरकार के 6 नवम्बर को जारी शासनादेश के अनुसार, मुरादाबाद, गोण्डा और सम्भल जिलों में पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह पुनर्गठन प्रक्रिया 14 दिसम्बर तक चलेगी। फिर वार्डों की संख्या तय होने पर यूपी की सभी पंचायतों का संक्षिप्त परिसीमन होगा। इस काम में भी करीब डेढ़ माह लग जाएगा। तब तक 31 जनवरी आ जाएगी। इसके बाद वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण शुरू होगा जिसमें डेढ़ से दो महीने का समय लगेगा। इस लिहाज से मार्च का महीना लग जाएगा।
रिपोर्ट का इंतजार तब शुरू होगा वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण :- वहीं राज्य निर्वाचन आयोग पंचायतों के पुनर्गठन, संक्षिप्त परीसीमन, सीटों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार कर रहा है। आयोग के अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा बताते हैं कि हमारी तैयारी समय सारिणी के अनुसार ही चल रही हैं। पंचायतीराज विभाग और प्रदेश शासन पंचायतों के पुनर्गठन, संक्षिप्त परिसीमन और सीटों के आरक्षण का काम पूरा करके आयोग को जानकारी दे तो आयोग वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण का काम शुरू करे। आरक्षण निर्धारण के लिए भी प्रदेश सरकार को कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवाना होगा।
दो बच्चों मामले पर यूपी सरकार लेगी निर्णय :- एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि दो बच्चों से ज्यादा होने पर परिवार के मुखिया को पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति न देने का निर्णय प्रदेश सरकार को लेना है अब सरकार पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन करने के लिए अध्यादेश लाती है।
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