विभागाध्यक्ष राजपाल ने बताया कि गांवों में सड़कों को नई तकनीकि से बनाने की योजना बनाई गई है। जिससे सड़क बनाने की लागत कम आए और पर्यावरण की भी रक्षा हो सके। इसलिए सीमेंट मिश्रित नई तकनीक से सड़कें बनाने का आदेश दिया गया था। पुरानी तकनीक में तारकोल का ज्यादा इस्तेमाल होता था, इसमें पत्थर अधिक लगने से अधिक खनन की जरूरत पड़ती है।
पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंताओं ने सीमेंट मिश्रित नई तकनीकी में कई दिक्कतों को सामने रख दिया है। विभागाध्यक्ष को भेजी रिपोर्ट में मुख्य अभियंताओं ने कहा कि इससे सड़क की क्वालिटी प्रभावित हो रही है। अच्छी मिक्सिंग के अभाव में संतोषजनक कम नहीं हो पा रहा है। सीमेेट से सड़क बनाने में कम से कम 8 दिन लगते हैं। यह ग्रामीण सड़कों पर संभव नहीं है। लोग उस पर चलने लगते हैं, जिससे इन सड़कों पर दरारें पड़ जाती हैं।
इन तकनीकी दिक्कतों को देखते हुए विभागाध्यक्ष ने कहा कि पूरे मामले को हाई पावर कमेटी में ले जाया जा रहा है, कमेटी का फैसला होने के बाद ही आगे कार्रवाई होगी।