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लखनऊ

धर्मसंकट में नेता : किसके लिए करें प्रचार, पहले पार्टी या रिश्तेदार में उलझे नेता

कांग्रेस के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा और उनकी पत्‍नी पूनम सिन्हा जो लखनऊ से सपा की प्रत्याशी हैं, इसके अलावा भी कई नाम शामिल है

लखनऊApr 22, 2019 / 12:08 pm

Ruchi Sharma

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धर्मसंकट में नेता : किसके लिए करें प्रचार, पहले पार्टी या रिश्तेदार में उलझे नेता

रुचि शर्मा

लखनऊ. लोकसभा चुनाव 2019 कई मायनों में बेहद दिलचस्‍प हो गया है। एेसा इसलिए क्योंकि इस लोक सभा चुनाव में एक ही परिवार के सदस्य अलग-अलग पार्टियों से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। लिहाजा, कई बड़े नेताओं के लिए यह धर्मसंकट रहा कि वे किसका प्रचार करें। इन नेताअों के सामने दुविधा है कि वे पिता, भाई, पुत्र या पति होने का फर्ज निभाएं या पार्टी लाइन पर कायम रहें। इनमें कुछ तो घोषित तौर पर पारिवारिक रिश्ते के साथ हैं तो कुछ हर हाल में पार्टी के साथ ही जीने मरने की कसम खा रहे हैं। इस कड़ी में सबसे पहला नाम बिहार की पटना साहिब सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा और उनकी पत्‍नी पूनम सिन्हा जो लखनऊ से सपा की प्रत्याशी हैं, इसके अलावा भी कई नाम शामिल है।

कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा सपा की पूनम सिन्हा

शत्रुघ्‍न सिन्‍हा के लिए भी ऐसा ही धर्म संकट है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि लखनऊ से जहां उनकी पत्‍नी पूनम मैदान में हैं वहीं कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्‍णम को मैदान में उतारा है। शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्‍न खुद पटना साहिब से कांग्रेस के उम्‍मीद्वार हैं। ऐसे में उनके सामने भी यही धर्म संकट है कि वह अपनी पत्‍नी का चुनाव प्रचार कैसे करें।

गौतमबुद्ध नगर में रहा यह असमंजस

गौतमबुद्ध नगर का भी यही हाल है, जहां पर पहले चरण के दौरान मतदान हुआ था। यहां पर ठाकुर जयवीर सिंह भाजपा से एमएलसी और उनके बेटे अरविंद कुमार सिंह को कांग्रेस ने अपना प्रत्‍याशी बनाया है। भाजपा एमएलसी जयवीर सिंह के लिए कांग्रेसी बेटे अरविंद कुमार सिंह के लिए वोट मांगना कठिन रहा।
मां-बेटी के बीच मुकाबला

अपना दल सोनेलाल की संरक्षक और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर सीट से लड़ेंगी। अपना दल कृष्णा पटेल गुट की अध्यक्ष और अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल कांग्रेस समझौता के तहत गोंडा से चुनाव लड़ रही हैं। इस तरह मां बेटी अलग-अलग दलों से मैदान में हैं। अपना दल के संरक्षक सोनेलाल पटेल की विरासत को लेकर मां-बेटी पहले भी आमने-सामने आ चुकी हैं।
शिवपाल- अक्षय यादव के बीच दिलचस्प मुकाबला

सबसे दिलचस्प मुकाबला तो फिरोजाबाद सीट पर होने जा रहा है। यहां के सांसद अक्षय यादव हैं। उन्हीं की सीट पर उनके मुकाबले उनके चाचा शिवपाल यादव मैदान में आ गये हैं। यह पहला मौका है कि मुलायम परिवार के दो सदस्य एक ही सीट पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं।
पूर्व सांसद व पिता रमाकांत से अलग विधायक अरुण का रास्ता

टिकट न मिलने से नाराज भाजपा के पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने पार्टी को अलविदा कह दिया। उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया, जबकि रमाकांत के पुत्र अरुणकांत यादव आजमगढ़ की फूलपुर पवई विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक हैं। 1985 से 2009 के बीच रमाकांत यादव चार बार विधायक और चार बार सांसद रह चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में वहां आजमगढ़ से भाजपा की टिकट पर मैदान में थे लेकिन मोदी लहर के बावजूद सपा प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव से हार गए थे।
भाई कांग्रेस के विधायक, सोनिया के खिलाफ ताल ठोक रहे दिनेश

भाजपा ने रायबरेली से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है। दिनेश पिछले साल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस और उनकी राष्ट्र नेताओं पर तीखा हमला बोल दिया था, लेकिन उनके भाई राकेश सिंह रायबरेली के चंद्रपुर से कांग्रेस के विधायक हैं।
राही परिवार में भी अलग-अलग राह

पूर्व केंद्रीय मंत्री रामलाल राही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए, जबकि उनके बेटे सुरेश राही हरगांव सीतापुर से भाजपा के विधायक हैं। कांग्रेस ने रामलाल राही के दूसरे बेटे की पत्नी मंजरी राही को मिश्रिख से लोकसभा का टिकट दिया है। रामलाल मिश्रिख सुरक्षित सीट से 4 बार सांसद रहे हैं।

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