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मान्यता के अनुसार मकर संक्राति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति को भारत के कई राज्यों के स्थानों पर खिचड़ी के रूप में भी मनाई जाती है। इसलिए मकर संक्रांति के दिन कई स्थानों पर खिचड़ी खाने का भी प्रचलन है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का भोग भी लगाया जाता है। इसके अलावे इस दिन तिल, गुड़, रेवड़ी, गजक का प्रसाद भी लोंगो में बांटकर एक दूसरों को शुभकामनाएं दी जाती हैं।
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मकर संक्रांति पर गुड़ और तिल लगाकर स्नान करना लाभदाई माना जाता है। इसके बाद दान संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से भी लाभ की प्रप्ति होती है और पुण्यफल की भी प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि 14 जनवरी एक ऐसा दिन है, जब धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय उत्तर को गमन करने लगता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर बहुत ही बुरा माना गया है, लेकिन जब वह सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।
भारतीयों का प्रमुख पर्व मकर संक्रांति अलग-अलग राज्यों, शहरों और गांवों में अलग-अलग परंपराओं के अनुसार मनाई जाती है। मकर संक्रांति के दिन से अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है। कुंभ के पहले स्नान की शुरुआत भी मकर संक्रांति के दिन से ही होती है। मकर संक्रांति त्योहार भारत के कई राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाई जाती है।
उत्तर प्रदेश : मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है. सूर्य की पूजा की जाती है. चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है।
गुजरात और राजस्थान : उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है। पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है।
आंध्रप्रदेश : संक्रांति के नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है।
तमिलनाडु : किसानों का ये प्रमुख पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है जिसमें घी में दाल-चावल की खिचड़ी पकाकर खिलाई जाती है।
महाराष्ट्र : पूजा कर लोग गजक और तिल के लड्डू खाते हैं और एक दूसरे को भेंट देकर शुभकामनाएं देते हैं।
पश्चिम बंगाल : हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है।
असम : भोगली बिहू के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है।
पंजाब : एक दिन पूर्व लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। धूमधाम के साथ समारोहों का आयोजन भी किया जाता है।