वहीं बसपा समर्थकों का मानना है कि मायावती की फालोइंग सपा नेता अखिलेश से ज्यादा है। यूपी में मुख्यमंत्री बनने का अनुभव भी अखिलेश के मुकाबले मायावती का अनुभव काफी अधिक है। वह चार बार मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। राज्यसभा में भी वे अखिलेश से ज्यादा समय तक सदस्य रही हैं। इसके मुकाबले अखिलेश यूपी में एक ही बार मुख्यमंत्री रहे हैं। पिछड़े वर्ग में वह यादव समाज के सर्वमान्य नेता भले ही रहे हों जबकि मायावती दलित वर्ग की सर्वमान्य नेता मानी जाती रही हैं। ऐसे में बसपा समर्थकों का कहना है कि मायावती इस महागठबंधन की नेता होंगी। जबकि सपा नेताओं का कहना है कि अखिलेश यादव पिछड़ों, दलितों और अल्प संख्यकों के नेता के रूप में पहचाने जाते हैं, इसलिए वे गठबंधन के नेता होंगे।