वहीं, उन्होंने बैठक में यह कहकह खलबली मचा दी कि बसपा में इस वक्त नेतृत्व की कमी है। मायावती ने कहा कि पार्टी में नेतृत्व की कमी के कारण ही भाई आनंद को जिम्मेदारी सौपी गई। उन्होंने कहा कि उम्मीद है आनंद अपनी जिम्मेदारियों को बखुबी निभाएंगे। उन्होंने कहा कि आनंद को जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद बसपा पर परिवारवाद का आरोप लगा कर दुष्प्रचार किया जा रहा है। बसपा अंबेडकरवादी सोच की पार्टी है। यह कभी भी सपा व कांग्रेस की तरह परिवारवादी पार्टी नहीं बन सकती है। मायावती ने कहा कि आज मूवमेंट के लिए न झुकने तथा न बिकने वाले नेतृत्व की जरूरत है।
पहली बार सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं बैठक को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि बसपा पहली बार शहरी निकाय का चुनाव अपने पार्टी सिंबल पर लड़ रही है तथा इस बार मेयर, पार्षद, नगर पालिका व नगर पंचायत के अध्यक्ष व सदस्यों के लिए पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं, इसीलिए इस बार किसी पार्टी कार्यकर्ता को निर्दलीय के तौर पर यह चुनाव लडऩे की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि अनुशासन करने वाले कार्यकर्ताओं और नेताओं पर कार्रवाई की जाएगी।
गठबंधन से संकोच नहीं उन्होंने कहा कि बीजेपी व अन्य सांप्रदायिक पार्टियों को सत्ता में आने से रोकने के लिए देश के किसी भी राज्य में विधानसभा व लोकसभा का आम चुनाव सेक्युलर पार्टियों के साथ गठबंधन करके लडऩे का सवाल है तो हमारी पार्टी इसके बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हैं, बल्कि इसके पक्षधर है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी किसी भी सेक्यूलर पार्टी के साथ गठबंधन करके तभी कोई चुनाव लड़ेगी, जब हमे बंटवारे में सीटें सम्मानजनक मिले, वरना हम अकेले ही चुनाव लड़ेंगे।
… इसलिए कांग्रेस से नहीं किया गठबंधन बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुजरात और हिमाचल में कांग्रेस से गठबंधन न करने का खुलासा करते हुए कहा कि वर्तमान में हो रहे आमचुनाव के लिये गुजरात में कुल 182 विधानसभा की सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस पार्टी की केवल हारी हुई सीटों में से 25 सीटें बीएसपी को देने के लिए कहा गया, परन्तु यह कांग्रेस को नागवार गुजरा। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश की कुल 68 सीटों में से वहां भी कांग्रेस की केवल हारी हुई सीटों में से 10 सीटें बीएसपी को देने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इस बारे में भी कोई रुचि नहीं ली।