काउन्सलर ममता सिंह ने कार्यशाला के दौरान किशोरियों को माहवारी संबंधी जानकारी विस्तारपूर्वक दी। उन्होंने बताया कि माहवारी कैसे और किस उम्र से आती है। नहीं आने पर क्या करना चाहिए और माहवारी आने पर स्वच्छता पर क्यों खास ध्यान देना चाहिए। सवाल जवाब सत्र के दौरान एक किशोरी ने पूछा कि माहवारी के दौरान एक बार में कितना रक्तस्राव होता है। वहीं एक किशोरी के सवाल पर काउन्सलर ममता ने समझाया कि माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव होने से शरीर में किन-किन तत्वों की कमी हो जाती है।
माहवारी में सूती कपड़े के पैड का उपयोग सबसे अच्छा रहता है | अगर कपड़े का पैड नहीं है तो सूती मुलायम कपड़े को पैड की तरह मोड़कर उपयोग करना चाहिए | हर दो घंटे में पैड बदलना चाहिए | पैड बदलने के समय जननांग को पानी से धोकर सुखा लें | उपयोग किये हुए पैड को साबुन व ठंडे पानी से धोना चाहिए व तेज धूप में सुखाना चाहिए | ऐसा करने से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं | सूख जाने के बाद पैड को एक साफ़ धुली कपड़े की थैली में मोड़कर रखें| माहवारी के समय स्वाभाविक तौर पर संक्रमण फैलने की सम्भावना बढ़ जाती है | इसलिए रक्त या स्राव के संपर्क होने पर शरीर को अच्छे से साबुन व पानी से धोना चाहिये | अगर किसी कपड़े या चादर पर माहवारी का खून लग जाये तो उसे धोकर ही दोबारा उपयोग में लाना चाहिये | माहवारी में उपयोग किये गए पैड या कपड़े को खुले में नहीं फेंकना चाहिये क्यूंकि ऐसा करने से उठाने वाले व्यक्ति में संक्रमण का खतरा हो सकता है | हमेशा पैड को पेपर या पुराने अखबार में लपेटकर फेंकना चाहिये या पैड को जमीन में गड्ढा खोदकर गाड़ देना चाहिये |
माहवारी एक लड़की के जीवन की स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसमें योनि से रक्तस्राव होता है । माहवारी एक लड़की के शरीर को माँ बनने के लिए तैयार करती है । एक लड़की की पहली माहवारी 9-13 वर्ष के बीच कभी भी हो सकती है । हर लड़की के लिए माहवारी की आयु अलग-अलग होती है। हर परिपक्व लड़की की 28-31 दिनों के बीच में एक बार माहवारी होती है। माहवारी चक्र की गिनती माहवारी के पहले दिन से अगली माहवारी के पहले दिन तक की जाती है । माहवारी का खून गन्दा या अपवित्र नहीं होता है । यह खून गर्भ ठहरने के समय बच्चे को पोषण प्रदान करता है । कुछ लड़कियों को माहवारी के समय पेट के निचले हिस्से में दर्द, मितली और थकान हो सकती है । यह घबराने की बात नहीं है ।