या हुसैन की गूंज रही थी सदाएं कर्बला के 72 शहीदों को यादकर लोग मातम कर रहे थे। छोटे-छोटे बच्चें भी खुद को जंजीरों से पीटकर अपने सर पर रॉड मारकर, खंजर, चाकू, जंजीरे लेकर खुद को लहूलुहान कर रहे थे। जुलूस के दौरान हर तरफ अली मौला, हैदर मौला की सदाए गूंज रही थी। खूनी मंजर देखकर गमजदा महिलाएं रो रही थी। जुलूस जैसे ही इमामबाड़े से निकला, वैसे ही हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करके लोग रोने लगे। जहां से जुलूस निकला, रास्तों पर लोग चाकू, छुरी और खंजर से खुद को लहूलुहान (कमा) कर गमगीन हो रहे थे। इन्हें देखने के लिए हजारों की भीड़ सड़कों और घरों की छतों से देखने के लिए उमड़े रहे।
जुलूस सुबह करीब 10 बजे बड़ा इमामबाड़ा से शुरू हुआ और 8 किमी दूर तालकटोरा पर खत्म हुआ। इस दौरान हुसैनी सौगवारों ने खुद को घायल कर मातम मनाया और इमाम हुसैन की शहादत का मकसद बयां किया। एसपी पश्चिमी विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया, मुहर्रम के अवसर पर शिया समुदाय द्वारा अशरेका जुलूस इमामबाड़ा नाजिम साहब विक्टोरिया स्ट्रीट थाना चौक से निकाला गया। ये जुलूस जोमे फेयर तिराहा, अकबरी गेट, नक्खास तिराहा, टुड़ियागंज, बिल्लौचपुरा, बाजारखाला ट्रान्सफार्मर तिराहा, हैदरगंज (लाल माधव) तिराहा, बुलाकी अड्डा, मिल ऐरिया, एवरेडी तिराहा होते हुए शाम तक तालकटोरा थाना स्थित कर्बला पहुंचकर समाप्त हुृआ।
सुरक्षा व्यवस्था के ये रहे इंतजाम उनके मुताबिक, पुराने लखनऊ के 12 थाने, सीओ बाजारखाला, चौक और कैसरबाग के साथ 5 जोन और 18 सेक्टर में सुरक्षा व्यवस्था में डिवाइड की गई थीं। सभी कैमरों को एमसीआर से जोड़ा गया है, इनमें ड्रोन कैमरे और 100 सीसीटीवी कैमरे शामिल थे।