सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों से ज्यादती के कुल मामलों और उन मामलों के अदालतों में लंबित पड़ी रहने की अवधि का ब्योरा मांगा है। 25 जुलाई को मामले की सुनवाई होनी है। इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने बच्चों से ज्यादती के मामलों का पूरा डेटा पेश करने के निर्देश दिए थे। रिपोर्ट मिलने के बाद उसका विश्लेषण किया जाएगा और फिर इन मामलों के निपटारे के लिए कोर्ट राज्यों को दिशा-निर्देश जारी करेगा।
ये भी पढ़ें: NCRB रिपोर्ट के सामने आए भयावह आंकड़े, लखनऊ असुरक्षित शहरों में पांचवे स्थान पर अपराध की दर 24 फीसदी बढ़ी नेशनल क्राइम ब्यूरो (National Crime Bureau) की ओर से जारी की गई 2016 की रिपोर्ट के अनुसार देशभर में बच्चों पर हुए हमले और अन्य आपराधिक गतिविधियों में इजाफा हुआ है। 2014 में बच्चों के साथ अपराध की 89,423 घटनाएं दर्ज हुईं। इसके बाद 2015 में 94,172 और 2016 में 1,06,958 घटनाएं दर्ज हुईं। इन 3 सालों में बच्चों के साथ अपराध की दर 24 फीसदी तक पहुंच गई।
सबसे ज्याादा बाल अपराध यूपी में 2016 में बच्चों के साथ घटी 1,06,958 घटनाओं में 36,022 मामले पॉक्सो एक्ट, 2012 के तहत दर्ज किए गए, जिसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश 4,954 में मामले सामने आए। बाल यौन शोषण के कुल 4,654 मामले सामने आए। वहीं, दूसरे नंबर पर 4,815 मामलों के साथ महाराष्ट्र और तीसरे स्थान पर 4,717 मामलों के साथ मध्य प्रदेश रहा। वहीं, बच्चों के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार में भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है।
शारीरिक दुर्रव्यवहार में यूपी सबसे आगे उत्तर प्रदेश में शारीरिक दुर्व्यवहार के 2652 मामले सामने आए। इसके बाद महाराष्ट्र (2,370) और मध्य प्रदेश (2,106) का नंबर है। दिल्ली में यह आंकड़ा 769 है. वहीं जम्मू-कश्मीर में महज 2 मामले ऐसे आए।
800 से ज्यादा सेक्शुअल हैरेसमेंट के मामले नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों संग सैक्शुअल हैरेसमेंट के 882 मामले दर्ज किए गए। हालांकि, इसमें तेलंगाना सबसे आगे रहा। तेलंगाना के 178 मामले दर्ज किए गए और उत्तर प्रदेश के 123 मामले दर्ज हुए।
सरकार ने कड़ा किया पॉक्सो बाल यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के लिए व अपराधियों को कड़ी सजा देने के लिए केंद्रीय मंत्रीमंडल ने पॉक्सो (
POXCO) कानून को कड़ करने के लिए कई संशोधनों को लेकर मंजूरी दी।