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लखनऊ

इनसे सीखें आगे बढना, दूध बेचकर किया टॉप

दूध बेचकर जमा करता था फीस,मिला गोल्ड मेडल

लखनऊJan 01, 2018 / 02:48 pm

Prashant Srivastava

student
लखनऊ. हालात इंसान को जीना सिखाते हैं, मेहनत से सपने पूरा करना सिखाते हैं। यह कहना है लखनऊ यूनिवर्सिटी के टॉपर कोमल त्रिपाठी का जिन्हें हाल ही में गृहमंत्री राजनाथ सिंह के हाथों गोल्ड मेडल मिला। रायबरेली के पचखरा गांव के रहने वाले कोमल ने एमए में टॉप किया। उनका जीवन बेहद कठिनाइयों भरा रहा है। वह दूध बेचकर स्कूल की फीस भरा करते थे। कामयाबी मिलने के बाद उनके चेहर के पर खुशी के आंसू दिखे।
पिता हैं किसान,कठिनाइयों में बीता बचपन

कोमल ने बताया कि उनके पिता प्रेम नारायण त्रिपाठी (48) किसान हैं और मां सुधा हाउस वाइफ है। घर की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। पिता आलू की खेती करते थे। बाबा स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें 3000 रुपए पेंशन मिलती थी, जिससे घर खर्च चलता था। उनकी डेथ हो चुकी है। कोमल के मुताबिक, “मेरी प्राइमरी स्कूलिंग गांव में ही हुई है। कई बार स्कूल की फीस भरने तक के लिए पैसे नहीं होते थे। हमारे घर पर एक ही गाय थी। उसका दूध कभी घर के लिए इस्तेमाल नहीं हुआ, क्योंकि दूध बेचकर ही हमारे स्कूल की फीस आती थी।”
लालटेन की रोशनी में की पढ़ाई

कोमल जिस गांव में रहते थे वहां बिजली नहीं आती थी। इसी कारण वह लालटेन में पढ़ाई करते थे। कोमल बताते हैं, “हमारा स्कूल घर से 6 किमी. की दूरी पर था। तब ऑटो से जाने के लिए जेब में पैसे नहीं होते थे। मेन रोड से टाइम ज्यादा लगता था, इसलिए हम तीनों भाई-बहन रेलवे लाइन के किनारे चलते हुए स्कूल जाते थे। आने-जाने में इतना थक जाता था कि स्कूल से लौटते ही जल्दी सो जाता था।”कोमल बताते हैं, “घर में पैसे की प्रॉब्लम के कारण बिजली का कनेक्शन नहीं लग पाया था। 2011 में मैंने हाईस्कूल बोर्ड एग्जाम की पढ़ाई लालटेन की रोशनी में की थी। मेरे 57 परसेंट मार्क्स आए थे। हमारे घर 2012 में बिजली कनेक्शन जुड़ा था। सुविधाएं मिली तो परफॉर्मेंस बेहतर हुआ। इंटरमीडिएट एग्जाम में मेरे 78 प्रतिशत मार्क्स आए थे।”
पीएम ने की थी मदद

कोमल ने बताया कि पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए दो साल के कोर्स की फीस 24 हजार रुपए थी। मैंने पीएम नरेंद्र मोदी को लेटर लिखकर मदद की गुहार लगाई। लेटर लिखने के थोड़े दिन बाद ही रिप्लाई आया था कि आपकी प्रॉब्लम जल्द ही सॉल्व की जाएगी। “रिप्लाई आने के कुछ दिन बाद ही लखनऊ यूनिवर्सिटी के वीसी ऑफिस से मेरे पास फोन आया। मैं पीएमओ का लेटर लेकर वीसी प्रो. एसबी निम्से से मिला। उन्होंने लेटर देखने के बाद मेरी फर्स्ट सेमेस्टर की फ़ीस माफ़ कर दी।”

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