एंजीयोग्राफी में नहीं पाया गया कोई ब्लॉकेज
बतादें कि मऊ से बसपा बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी भाजपा विधायक कृष्णा नंद राय के हत्या के मामले में बांदा जिला जेल में बंद हैं। उन्होंने मंगलवार को सीने में तेज दर्द की शिकायत की थी उसके बाद उन्हें एसजीपीजीआई लखनऊ लाया गया था। जहां पर पीजीआई के डाक्टरों ने उनकी एंजीयोग्राफी की जिसमें कोई ब्लॉकेज नहीं पाया गया और उनको डाक्टरों ने गुरुवार को डिस्चार्ज कर दिया। उसके बाद मुख्तार अंसारी को भारी सुरक्षा के साथ लखनऊ से बांदा जेल के लिए रवाना कर दिया गया। ववहीं मुख्तार के बांदा जेल भेजे जाने के निर्णय पर उनके घर वालों ने आपत्ति भी जताई है। इसके बाद भी कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें बांदा जेल के लिए रवाना कर दिया गया। एसजीपीजीआई में मुख्तार अंसारी की दो दिन की मौजूदगी रही इस दौरान काफी गहमा गहमी रही। इससे पहले मुख्तार अंसारी को वापस बांदा जेल भेजने का आदेश गृह विभाग ने सीएम के निर्देश पर जारी किया।
दोनों को वहां से एसजीपीजीआई भेजा गया
मंगलवार को मुख्तार अंसारी की पत्नी और बेटा अब्बास अंसारी उनसे मिलने बांदा जेल पहुंचे थे इसी दौरान मुख्तार अंसारी ने सीने में दर्द की शिकायत की थी, इससे उनकी पत्नी को सदमा लगा था और वही भी बीमार पड़ गई थीं, उसके बाद दोनों को वहां से एसजीपीजीआई भेजा गया, जहां पर डाक्टरों ने उनकी पत्नी को मंगलवार रात को ही जांच के बाद छुट्टी दे दी थी, जब कि मुख्तार अंसारी को हार्ट अटैक की शिकायत के बाद दो दिन जांच की गई। एंडियोग्राफी में कोई ब्लॉकेज नहीं पाया गया था और उन्हें बुधवार को आईसीयू से प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था। गुरुवार को डाक्टरों ने उन्हें स्वस्थ्य करार देते हुए पीजीआई से डिस्चार्ज कर दिया जिसके बाद उन्हें बांदा जेल के लिए रवाना कर दिया गया।
अफजाल ने गंभीर आरोप लगाए थे
उधर, मुख्तार अंसारी के भाई पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने उनको डिस्चार्ज करने के मामले में आपत्ति दर्ज कराने के साथ ही एसजीपीजीआई प्रशासन और प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी ने आरोप लगाया कि मंत्रियों के दबाव में उन्हें पीजीआई से डिस्चार्ज किया गया है।
बांदा जेल के बाद बांदा जिला अस्पताल में चिकित्सीय परीक्षण के बाद कड़ी सुरक्षा में नौ जनवरी को मुख्तार अंसारी को लखनऊ लाया गया था। सरकारी आदेश है कि मुख्तार का इलाज अब बांदा जेल में जेल में ही होगा। लखनऊ में 48 घंटे के इलाज के बाद पीजीआई के डॉक्टरों ने डिस्चार्ज किया।