राजनीतिक कारणों से जांच का आरोप 25 मार्च को सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बैठक में कांग्रेस के विश्वनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दायर कर मुलायम सिंह यादव और सीबीआई से जवाब मांगा था। 2007 मे याचिका दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने सावल किया था कि मुलायम सिंह यादव और उनके बेटों पर आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई अब तक क्या कर रही थी। जवाब में मुलायम सिंह यादव ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि चुनाव नजदीक होने के कारण जानबूझकर उनके खिलाफ अर्जी दाखिल की गई। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कई बातें छिपाई।
सपा संरक्षक ने अपने हलफनामे में याचिकाकर्ता पर यह आरोप लगाया था कि 2019 के आम चुनाव के दौरान उनपर बेबुनियादी तरीके से याचिका दायर की गई। 2 फरवरी, 2009 को स्टेट्स रिपोर्ट (वर्मा द्वारा) के विश्लेषण को अदालत में प्रस्तुत किए बिना सिर्फ 26 अक्टूबर 2007 की रिपोर्ट के आधार पर याचिका की। फर्जी रिपोर्ट मानते हुए एजेंसी ने इन रिपोर्ट्स को जालसाजी बताते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके साथ ही सीबीआई की ओर से इस मामले में एक जांच कमिटी गठित की गई थी जिन्हें यह पता लगाना था कि जाली स्टेट्स रिपोर्ट और 2 फरवरी, 2009 की फर्जी विश्लेषण रिपोर्ट के लिए कौन जिम्मेदार है?
स्टेटस रिपोर्ट तैयार करने से इंकार 28 दिसंबर, 2012 को सीबीआई ने नई दिल्ली स्थित पटियाला हाउस में अंतिम रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा था कि तिलत्मा वर्मा द्वारा 2 जिलाई, 2009 को दायर की गई रिपोर्ट गलत है। ऐसी कोई रिपोर्ट तैयार नहीं की गई थी। इसके साथ ही 30 जुलाई 2007 और 20 अगस्त 2007 को भी सीबीआई ने इस तरह की कोई स्टेट्स रिपोर्ट तैयार नहीं की। यहां तक कि जांच अधिकारी, पुलिस अधीक्षक और डीआईजी सहित शाखा अधिकारियों ने अपने बयानों में ऐसी कोई भी स्टेटस रिपोर्ट तैयार करने से इनकार किया है।