इतना आसान नहीं है मुलायम के चरखा दांव को समझ पाना
अखिलेश और शिवपाल की लड़ाई में रिश्तेदार चुनावी बेला में निष्क्रिय हैं। कुछ नजदीकी रिश्तेदार और मैनपुरी के सांसद तेजप्रताप यादव मुलायम का चुनावी मोर्चा संभाले हैं। तेज मुलायम के बड़े भाई रतन सिंह के दिवंगत बेटे रणवीर सिंह के इकलौते बेटे हैं। पहले मुलायम के चुनाव प्रबंधन का काम शिवपाल के जिम्मे था। शिवपाल इस बार फिरोजाबाद में जूझ रहे हैं। जानने वाले जानते हैं कि मुलायम को चिंता अपनी जीत की नहीं, चिंता उन रिश्तों की है जो दरक चुके हैं।मुलायम परिवार की ज्यादातर रिश्तेदारियां मैनपुरी, फिरोजाबाद और इटावा में हैं। फिरोजाबाद में शिवपाल और रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव परिवार की गांठ हर मंच से खोल रहे हैं। एक दूसरे के प्रति घात-प्रतिघात जारी है। इस लड़ाई में परिवार भी बंट गया है। मुलायम के भतीजे सपा सांसद धर्मेंद्र की बहन और मैनपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष संध्या यादव फिरोजाबाद के भारौल में ब्याही हैं। परिवार की जंग से बचने के लिए इनके पति अनुजेश भाजपा में जा चुके हैं। धर्मेंद्र की दूसरे जीजा राजीव यादव की मां रामसिया फिरोजाबाद की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। यहीं के सिरसागंज के विधायक हरिओम यादव के बड़े भाई रामप्रकाश यादव मैनपुरी से सांसद तेज प्रताप यादव के नाना हैं। यह दोनों ही रिश्तेदार अखिलेश और शिवपाल खेमे में बंट गए हैं। हरिओम शिवपाल के साथ हैं। तो अक्षय के साथ धर्मेद्र के कुछ रिश्तेदार हैं। कुछ तो निष्क्रिय हैं। कुछ ने भाजपा का साथ थाम लिया है।
इस बड़े मुद्दे पर सपा को मिला भाजपा का साथ, कांग्रेस और बसपा के खेमों में चुप्पी
सियासत के धुरंधर की खामोशीपिछले तीन दशक से उप्र में राजनीति बिना मुलायम के पूरी नहीं होती थी। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष मुलायम राजनीति के पर्याय हुआ करते थे। कहा जाता था मुलायम वक्त को अपने माफिक करने में माहिर थे। लेकिन, सियासत के इस धुरंधर से समय रूठा है। रिश्तों को बनाने और निभाने के लिए मशहूर यह सूरमा अब अपना ही घर बिखरता हुआ देख रहा है। फिर भी जनता को उम्मीद है ‘नेताजी’ एक बार फिर नेताजी बनकर उभरेंगे।