अयोध्या मामले में मुख्य याचिकाकर्ता इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) ने मांग की है कि मस्जिद के लिए पांच एकड़ की जमीन रामलला परिसर यानी अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन में से ही दी जाए। मुस्लिम समुदाय 14 कोसी परिक्रमा के बाहर जाकर मस्जिद नहीं बनावाएगा। अगर सरकार या कोर्ट उनकी बात नहीं मानती है तो वह इस पेशे को ठुकरा देंगे। अयोध्या म्यूनिसिपल कॉपरेशन के सदस्य, हाजी असद अहमद ने भी अधिग्रहित क्षेत्र में से जमीन की मांग की है। उनका कहना है कि अगर एक तरफ अगर मंदिर की घंटी बजे, तो दूसरी तरफ अजान हो। इससे हिंदूओं और मुस्लिमों के बीच खटास कम होगी और आपसी भाईचारा भी बढ़ेगा।
जमीन ऐसी जगह जहां हो सके विश्वविद्यालय का निर्माण मस्जिद के लिए जमीन खोजना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। सोमवार को मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर इस मामले पर करीब एक घंटे चर्चा की। उन्होंने मुख्यमंत्री से अयोध्या में मस्जिद के लिए ऐसी जगह जमीन मांगी है, जहां इस्लामिक यूनिवर्सिटी का निर्माण हो सके। धर्मगुरुओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रदेश में शांतपूर्ण ढंग से लागू कराने के लिए मुख्यमंत्री को बधाई भी दी।
जमीन तलाशना हुआ मुश्किल मस्जिद निर्माण के लिए उपयुक्त जमीन का पेंच कई विकल्पों के बीच फंसा है। बेहद घनी बसी अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन तलाशना मुश्किल है। मंदिर की तरफ सरयू के दूसरे पार वाले नगर निगम के इलाके में जमीन का आवंटन करना मुश्किल हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए अपनी 67 एकड़ अधिगृहत जमीन में से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है। एक अन्य विकल्प में कोर्ट ने राज्य सरकार को अयोध्या के अंदर ही प्रमुख स्थान पर उपयुक्त जमीन मस्जिद के लिए देने को कहा है।
सहनवा गांव में भी हो सकता है मस्जिद निर्माण मस्जिद को अयोध्या के निकट सहनवा गांव में मीर बाकी की मजार के पास भी बनवाया जा सकता है। मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था। यह अयोध्या में कारसेवकपुरम से पांच से सात किमी की दूरी पर है। राज्य सरकार ने इस तरह की एक और जगह राम जन्मभूमि मंदिर के पीछे आरा मशीन के पास भी चिन्हित की है। मस्जिद निर्माण का काम सुन्नी वक्फ बोर्ड को कराना है।