जया को टिकट देने से नाराज हुए नरेश
नरेश अग्रवाल दरअसल, सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से राज्यसभा सीट पर उनकी जगह जया बच्चन को टिकट देने से नाराज हैं और अब उन्होंने सपा की सबसे बड़ी सियासी दुश्मन बीजेपी से हाथ मिलाकर अखिलेश को तगड़ा झटका देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के छह राज्यसभा सांसद किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, नरेश अग्रवाल, जया बच्चन, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी का कार्यकाल खत्म हो रहा है। यूपी में फिलहाल सपा के पास सिर्फ 47 वोट हैं, ऐसे में अखिलेश यादव सिर्फ एक नेता को ही संसद भेज सकते हैं। बाकी 09 अतिरिक्त वोट पार्टी गठबंधन के तहत बीएसपी उम्मीदवार को देगी। इसी कारण समाजवादी पार्टी ने नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी को राज्यसभा का टिकट नहीं दिया है। सपा ने अपने छह राज्यसभा सदस्यों में सिर्फ जया बच्चन को भेजने का फैसला किया है।
लंबा है नरेश का राजनीतिक ग्राफ, सपा की मुखर आवाज थे
नरेश अग्रवाल का दर्द यह है कि वो राज्यसभा में सबसे ज्यादा मुखर रहे हैं और पार्टी की रीतियों-नीतियों को केंद्रीय स्तर पर उठाते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने जया बच्चन को राज्यसभा भेजने का फैसला किया और उनका पत्ता काट दिया गया। 68 साल के नरेश अग्रवाल मूलत: हरदोई के रहने वाले हैं। पढ़ाई के मामले में बीएससी और एलएलबी नरेश तकरीबन चार दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। नरेश पहली बार 1980 में कांग्रेस के निशान पर विधायक चुने गए थे। बाद में 1989 से 2008 तक लगातार यूपी विधानसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1997 में कांग्रेस पार्टी को तोडक़र लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी का गठन किया और 997 से 2001 तक यूपी सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे। नरेश वर्ष 2003 से 2004 तक पर्यटन मंत्री रहे और 2004 से 2007 तक यूपी के परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला। बाद में सपा के सिंबल पर राज्यसभा के लिए चुने गए और संसद की कई कमेटियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है. उनका बेटे नितिन अग्रवाल अखिलेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में हरदोई से सपा के विधायक हैं।
विवादित बयानों से नरेश का पुराना नाता है
जया बच्चन को नाचने वाली बताने वाले नरेश अग्रवाल अक्सर अपने बयानों के लिए मीडिया में सुर्खियां बटोरते रहते हैं। कई बार अपने विवादास्पद बयानों के चलते उन्हें खेद भी जताना पड़ा है। समाजवादी पार्टी में जब अखिलेश बनाम मुलायम की जंग छिड़ी हुई थी तब नरेश अग्रवाल ने खुलकर अखिलेश यादव का साथ दिया था। नरेश अग्रवाल को हर पार्टी में अपनी पैठ के लिए भी जाना जाता है, उनकी इसी पैठ का नतीजा है कि सपा से नाराज होने पर उन्हें तुरंत ही बीजेपी से पार्टी में शामिल होने का मौका मिल गया है।
बिगाड़ देंगे सपा और बसपा का राज्यसभा का गणित
अब नरेश अग्रवाल सपा और बसपा के राज्यसभा चुनाव का गणित बिगाड़ देंगे। भाजपा में शामिल होने के मौके पर नरेश ने स्पष्ट कहाकि उनके बेटे और हरदोई से सपा के विधायक नितिन अग्रवाल खुलकर भाजपा के पक्ष में वोट करेंगे। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य विधायक भी भाजपा के नौवें उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करेंगे। ऐसी स्थिति में सपा को अपने अतिरिक्त दस वोट बसपा में ट्रांसफर करने पर जया बच्चन की हार का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। राज्यसभा चुनाव का फॉर्मूला है, खाली सीटें में एक जोड़ से विधानसभा की सदस्य संख्या से भाग देना। निष्कर्ष में भी एक जोडऩे पर जो संख्या आती है. उतने ही वोट एक सदस्य को राज्यसभा चुनाव जीतने के जरूरी होता है। यूपी के लिए रिक्त 10 सीटों में 1 को जोड़ा तो हुए 11. अब 403 को 11 से भाग देते हैं तो आता है 36.63. इसमें 1 जोड़ा जाए तो आते हैं 37.63. यानी यूपी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को औसतन 38 विधायकों का समर्थन चाहिए।