1936 के बर्लिन ओलंपिक में मेजर ध्यान चंद के बेहतरीन प्रदर्शन से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हे भोजन के लिए आमंत्रित किया था और जर्मनी की तरफ से खेलने का प्रस्ताव भी सामने रखा था। जिसे मेजर ध्यान चंद ने अस्वीकार करते हुए कहा कि वो हमेशा भारत के लिए ही खेलेंगे।
हाल ही मे भारत सरकार ने राजीव गांधी खेल पुरस्कार का नाम बदल कर भारत के महान हॉकी खिलाडी मेजर ध्यान चंद के नाम पर कर दिया है। ये पुरस्कार भारत खेल जगत का सर्वोच्च पुरस्कार है जो हर साल भारत सरकार के खेल एवं युवा मंत्रालय द्वारा दीया जाता है। इसके अंतर्गत खिलड़ियों को सरकार की तरफ से पदक, प्रशस्ति पत्र और धन राशि दे कर उन्हे सम्मानित किया जाता है।
इस साल का राष्ट्रीय खेल दिवस अभी तक का सबसे खास खेल उत्सव है क्यों कि इस बार टोक्यो ओलंपिक मे भारतीय खीलाड़ियों द्वारा आज तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन रहा। इस बार भारत के हिस्से मे कुल 7 मेडल आये जिसमे 1 स्वर्ण, 2 रजत और 4 कांस्य पदक रहे। नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक मे स्वर्ण पदक लाकर एक नया इतिहास रचा और वहीं सिंधु लगातार दो बार ओलंपिक मे मेडल लाने वाली पहली भारतीय महिला बनी। इस बार के प्रदर्शन से युवाओं मे खेल को लेकर और जिज्ञासा बढ़ी है जिससे की आने वाली पीढी अधिक से अधिक मेडल लाकर देश का नाम विश्व भर मे रौशन करेगी।