भारत सरकार ने यह फैसल बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुए कैबिनेट की मीटिंग में लिए। कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण से जुड़े इस संशोधन बिल को मंजूरी दी गई। इसे संसद के आने वाले सत्र में पेश किया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से कैबिनेट के सामने पेश किए गए इस राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण (संशोधन) बिल से एनसीटीई को और ज्यादा अधिकार मिल जाएगा। इसके अलावा बगैर एनसीटीई की अनुमति के टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स संचालित कर रहे संस्थानों को पिछली तारीखों से वैधता देने का भी विकल्प दिया गया है, ताकि पहले पढ़ाई कर चुके और मौजूदा समय में पढ़ाई कर रहे छात्रों के भविष्य पर इसका कोई असर न पड़े।
हालांकि इसके लिए ट्रेनिंग कोर्स संचालित कर रहे सभी संस्थानों को एनसीटीई के सामने अनुमति के लिए आवेदन करना होगा। वहीं इस बिल को लाने से पहले ही एनसीटीई ने देश भर के सभी विश्वविद्यालयों और टीचर्स ट्रेनिंग देने वाले संस्थानों को अनुमति लेने के भी निर्देश दिए थे। बावजूद इसके देश के तमाम ऐसे विश्वविद्यालय और संस्थान हैं, जिन्होंने अभी तक टीचर्स ट्रेनिंग कोर्सो की अनुमति नहीं ली है। काउंसिल ने ऐसे सभी संस्थानों को एक और मौका देते हुए उन्हें जल्द से जल्द इसकी अनुमति के लिए आवेदन करने को कहा है। मौजूदा समय में टीचर्स ट्रेनिंग से जुड़े कोर्सो की संचालन देशभर में अलग-अलग स्तरों पर किया जा रहा है। इनमें बीएड-डीएड जैसे कोर्सो का संचालन विश्वविद्यालय कर रहे है, जबकि बीटीसी जैसे कोर्सों का संचालन राज्य सरकार द्वारा जिला स्तर पर किया जा रहा है। बदलाव के तहत इन सभी को एनसीटीई से अनुमति लेनी होगी।
बता दें उत्तर प्रदेश में भी ऐसे कई संस्थान संचालित किये जा रहे थे जिसमें शिक्षकों की ट्रेनिंग दी जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इन संस्थाओं को एनसीटीई (NCTE : National Council For Teacher Education) से अनुमति लेनी होगी।