आशियाना में रहने वाले प्रताप चंद्रा का कहना है कि उसने आठ अप्रैल को कोविशील्ड की पहली डोज ली थी। उसके बाद उसे कमजोरी और अस्वस्थता महसूस। लेकिन यह काफी दिन बीत जाने के बाद भी वह ठीक नहीं हुए। टीवी पर आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव के प्रेस कांफ्रेंस के आधार पर चंद्रा ने करीब डेढ़ महीने बाद 25 मई को लखनऊ की सरकारी लैब एक कोविड एंटीबॉडी जीटी जांच कराई, जिसमें पता चला कि उसके शरीर में कोई एंटीबॉडी विकसित ही नहीं हुई है। उल्टा उसकी प्लेटलेट्स 3 लाख से घटकर 1.5 लाख हो गए थे।
चंद्र ने थाने में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और उसके मालिक अदार पूनावाला के खिलाफ धोखाधड़ी व जान से खिलवाड़ का केस दर्ज कराया है। सीएमओ को रिपोर्ट भेजकर जांच कराई जा रही है। आईसीएमआर के अनुसार, कोविशील्ड की पहली डोज के बाद ही शरीर में अच्छी एंटीबॉडी तैयार हो जाती है, जबकि दूसरी डोज से बाद एंटीबॉडी बनती है।