ट्रेनिंग के बाद भी नहीं मिल रही ज्वाइनिंग, कोरोना काल में पुरानी नौकरी पर जाने को हुए मजबूर
Not getting daroga bharti joining even after training- कोरोना काल (Corona) में कई लोगों की नौकरी छूट गई है तो कई लोग अपने पुराने काम पर वापल लौट रहे हैं। इसी तरह नौकरी छोड़कर दरोगा बनने का सपना देखने वाले युवा भी अपनी पुरानी नौकरी पर वापस आने को मजबूर हैं। उनकी घर वापसी हो रही है।
पत्रिका न्यूज नेटवर्कलखनऊ. Not getting daroga bharti joining even after training – कोरोना काल (Corona) में कई लोगों की नौकरी छूट गई है तो कई लोग अपने पुराने काम पर वापल लौट रहे हैं। इसी तरह नौकरी छोड़कर दरोगा बनने का सपना देखने वाले युवा भी अपनी पुरानी नौकरी पर वापस आने को मजबूर हैं। उनकी घर वापसी हो रही है। ट्रेनिंग खत्म होने के एक साल बाद भी उन्हें पोस्टिंग नहीं मिल रही। न इधर से कोई उम्मीद जगी है न पुरानी नौकरी छोड़कर आगे बढ़ने की गुंजाइश नजर आ रही है। ऐसे में कई युवा अपनी पुरानी नौकरी पर वापस लौट रहे हैं। इसकी एक वजह कानूनी दांव पेच भी है। वर्ष 2016 में 3,307 पदों पर यूपी में दरोगा भर्ती निकली थी। जुलाई 2017 में परीक्षा होनी थी लेकिन पेपर आउट होने की वजह से परीक्षा कैंसिल हो गई। दिसंबर 2017 में इम्तिहान हुआ लेकिन परिणाम आते ही बोर्ड के मूल्यांकन के खिलाफ कुछ अभ्यर्थी हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चयनित 2,486 अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग जून 2019 से जून 2020 तक चली, लेकिन अब तक जॉइनिंग नहीं मिली है। लिहाजा अधर में लटकी ज्वाइनिंग से परेशान युवा अपनी पुरानी नौकरी या किसी और नौकरी की ओर रुख कर रहे हैं।
भर्ती में सफल हुए 600 से ज्यादा अभ्यर्थी परीक्षा में 600 से ज्यादा अभ्यर्थी सफल हुए थे। इसमें से कई अभ्यर्थी पहले से किसी और सरकारी नौकरी में थे। कुछ सचिवालय में थे तो कुछ सिपाही पद पर थे। कुछ दूसरी किसी नौकरी में थे। परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थी ट्रेनिंग पर जाने से पहले अपने मूल विभाग में धारणाधिकार की अर्जी दी थी और ट्रेनिंग पर चले गए। धारणाधिकार मतलब वह समय, जिसके अवधि समाप्त होने तक नौकरी से नियुक्त होने और उस समय के भीतर फिर से लौटने का अधिकार होता है।अब धारणाधिकार का समय पूरा होने पर इन चयनित अभ्यर्थियों ने अपने मूल विभागों में फिर अर्जी दी है कि उन्हें जॉइनिंग नहीं मिल रही। उधर, 600 में से कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने मूल विभाग में वापस लौटने की अर्जी दी है, लेकिन विभाग ने उन पर फैसला नहीं लिया है।
कोर्ट में विवाद जब भर्ती अभ्यर्थी का नोटिफिकेशन आया था तब नॉर्मलाइजेशन का जिक्र नहीं किया गया था या इसे लेकर कोई बात नहीं कही गई थी। परीक्षा के कुछ दिन पहले बोर्ड ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया था। लेकिन उसमें भी यह साफ नहीं था कि नॉर्मलाइजेशन हर स्टेप पर होगा या पूरे परीक्षा परिणाम पर। परिणाम आने पर 400 से ज्यादा लोगों को नॉर्मलाइजेशन की वजह से ज्यादा अंक मिले। मगर कई के अंक प्राप्तांक से घट गए। इस बात पर आक्रोशित अभ्यर्थियों ने कोर्ट में अर्जी देकर शासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। इसी को लेकर कोर्ट में विवाद चल रहा है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि कई अवसरों पर वकील सुनवाई में उपस्थित ही नहीं हुए। अगर ऐसा न होता तो यह मामला जल्द निपट जाता।