वर्तमान में फरेंसिक मेडिसिन विभाग पोस्टमॉर्टम कर मृत व्यक्तियों की ही आयु पता कर पाता है। विभाग के हेड डॉ. अनूप कुमार वर्मा ने बताया कि बीस साल की उम्र के बाद आयु का पता लगाना मुश्किल होता है। दरअसल जीवित व्यक्तियों की आयु पता करने के लिए शरीर की किसी एक लॉन्ग बोन का एक्स-रे करते हैं, जो एक समय के बाद जुड़ने लगती है उसी से आयु का पता लगता है। लेकिन समस्या ये आती है कि इससे एक तो सटीक आंकलन नहीं हो पाता, दूसरा 20 साल की उम्र के बाद हड्डी जुड़ने से भी आयु का पता नहीं लग पाता है।
शोध के मुताबिक, आयु का पता लगाने के लिए कमर की हड्डी का सिटी स्कैन किया जाता है। उसमें हड्डियों का चरण वार अध्ययन होता है और उन्हीं का आंकलन कर 70 से 80 साल तक की आयु का सटीक आंकलन किया जा सकता है। विभाग में पुलिस की ओर से भी ऐसे मामलों के आंकलन के लिए व्यक्तियों को भेजा जाता है। ऐसे में अब किसी भी आरोपित की सटीक आयु पता लगाना आसान हो जाएगा।