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लखनऊ

Opinion : भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति

Opinion- जालसाजों और शिक्षा विभाग के अफसरों की मिलीभगत से हजारों से पात्र अभ्यर्थी नौकरी से वंचित हो गये

लखनऊSep 20, 2021 / 07:03 pm

Hariom Dwivedi

Opinion on fake teacher appointment

Opinion : भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति

Opinion- उत्तर प्रदेश में फर्जी शिक्षक भर्ती मामला भ्रष्टाचार के खुले खेल को न केवल उजागर करता है, बल्कि जीरो टॉलरेंस के सरकारी दावे की भी पोल खोलत है। जालसाजों और शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से हजारों से पात्र अभ्यर्थी अपात्र हो गये और अपात्र पात्र। इनमें कई अभ्यर्थी ऐसे थे जिनके लिए नौकरी का यह आखिरी मौका था। यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कार्यरत 2413 शिक्षक फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करते मिले। एसटीएफ ने पिछले तीन साल में इन्हें चिन्हित किया। इन सभी को बर्खास्त कर दिया गया है। अब इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो रही है। नौकरी के दौरान ली गयी सैलरी से रिकवरी की भी प्रक्रिया चल रही है। इनमें से कई शिक्षक ऐसे हैं जो 5-10 वर्षों से नौकरी कर रहे थे। वर्ष 2020 में सामने आई फर्जी शिक्षिका अनामिका शुक्ला के कारनामे ने हड़कंप मचा दिया था। उसकी नियुक्ति ही फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हुई थी और वह एक नहीं बल्कि कई-कई कस्तूरबा गांधी विद्यालयों से एक साथ वेतन ले रही थी।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016, 2017 और 2018 में बड़े पैमाने पर शिक्षक भर्ती हुई थी। 2016 में 15000 पद, 2017 में 68500 पद और 2018 में 69000 पदों के लिए परीक्षाएं हुई थीं। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्तियों में शिक्षा विभाग के अधिकारी भी शामिल थे। जून 2018 में एसटीएफ सबसे पहले मथुरा में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति का मामला पकड़ा था। कई और जिलों के फर्जी शिक्षक एसटीएफ के राडार पर हैं। फर्जी शिक्षकों से करीब एक हजार करोड़ रुपए की वेतन रिकवरी हो सकती है। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वेतन रिकवरी पर रोक लगा रखी है, जबकि विभाग इस फैसले के खिलाफ फिर से कोर्ट जाने की तैयारी में है।
भारतीय जनता पार्टी के अलावा सपा सरकार और उससे पूर्ववर्ती बसपा सरकार में भी हुई शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े के मामले सामने आते रहे हैं। सरकारें बदलीं, लेकिन जालसाजों के गिरोह सक्रिय रहे। योगी सरकार साढ़े चार साल पूरे होने पर अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीट रही है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात हो रही है। लेकिन, फर्जी शिक्षक भर्ती दावों की कलई खोल रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि तमाम दावों के बीच शिक्षक भर्ती में आखिर इतना बड़ा फर्जीवाड़ा कैसे हो गया, जिसकी किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगी? आगे शिक्षक भर्ती या अन्य किसी सरकारी नौकरी में धांधली न हो, इसके लिए सरकार को पुख्ता व्यवस्था करने के साथ ही हर स्तर पर मॉनिटरिंग करनी होगी, ताकि फिर से जालसाज योग्य युवाओं का भविष्य न खराब कर सकें।

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