डिस्चार्ज के समय उनको प्राईमरी हाईपर टेंशन और ब्लड शुगर की बीमारी थी लेकिन उन्हें दिव्यांगता पेंशन नहीं दी गई जिसके लिए उन्होंने तीन अपील की जिसे 15 दिसंबर, 2020, 2 और 13 सितंबर, 2021 को ख़ारिज कर दिया गया।
अपीलें खारिज होने के बाद हतास और निराश याची ने सेना कोर्ट लखनऊ में वाद दायर किया जिसकी सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने याची का पक्ष रखते हुए दलील दी कि तीस वर्ष की सेवा तक निरोगी रहने वाले सैनिक को यह कहकर दिव्यांगता पेंशन न देना कि बीमारी का सैन्य सर्विस से कोई लेना देना नहीं हैं । स्वीकार करने योग्य नहीं है क्योंकि याची सेना में भर्ती के समय किए गए मेडिकल और वार्षिक मेडिकल बोर्ड ने फिट घोषित किया था।
और उसके परिवार में भी इस तरह की बीमारी नहीं थी, इन बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट, पेंशन रेगुलेशन, मेडिकल आफिसर गाईड और इंटाइटिल रूल्स भी याची के पक्ष में है इसके बावजूद याची को दिव्यांगता पेंशन देने से इंकार कर दिया गया । जिसके विरोध में भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय द्वारा दलील दी गई लेकिन खण्ड-पीठ ने उसे अस्वीकार करते हुए भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय को आदेशित किया कि याची को चार महीने के अंदर पचास प्रतिशत दिव्यांगता पेंशन दे अन्यथा याची आठ प्रतिशत व्याज पाने का अधिकारी होगा ।