घबराएंगे नहीं तो अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा
इन दिनों पल्स ऑक्सीमीटर घरों की जरूरत बन चला है। लोग प्रत्येक घंटे ऑक्सीजन का स्तर नाप कर अपने दिल की धड़कन बढ़ा रहे हैं। बाराबंकी जिला चिकित्सालय के सीएमएस डा. एसके सिंह का दावा है कि जितनी ज्यादा घबराहट होती है, उतना ज्यादा ऑक्सीजन लेवल घटता है। ऑक्सीजन लेवल में कभी-कभी दो से चार फीसदी की गिरावट भी आ जाती है। यानी मरीज पहले ठीक रहता है और अकारण ही उसकी तकलीफ बढ़ जाती है। इसलिए घबराएंगे नहीं तो आपको अस्पताल जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
इच्छाशक्ति पर करें भरोसा
वहीं के जिला क्षय अधिकारी डा. एके वर्मा के मुताबिक घबराहट और बेचैनी से हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। इसलिए खून तेज दौड़ान के साथ नसों में आता है। लोग इंडेक्स फिंगर पर ऑक्सीमीटर लगाते हैं। तो उसकी रीडिंग मरीज के वास्तविक ऑक्सीजन लेवल से कम अथवा ज्यादा बताती है। डाक्टर एके वर्मा की सलाह है कि लोग ऑक्सीमीटर पर नहीं, बल्कि अपने स्वस्थ होने की इच्छाशक्ति पर भरोसा करें।
ऑक्सीजन से जुड़ी जरूरी जानकारी
– सामान्य व्यक्ति का ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल करीब 96 फीसदी होना चाहिए।
– ऑक्सीजन लेवल 90 फीसदी से कम मिले तो करें चिंता, डॉक्टर से लें सलाह।
– उम्र के अनुसार ऑक्सीजन सेचुरेशन में होता है उतार-चढ़ाव, बेवजह न हों परेशान।
– दौड़ कर या मेहनत करके आते हैं, तो 5 मिनट रुक कर ही जांचे ऑक्सीजन सेचुरेशन।
– मास्क लगाकर ऑक्सीजन सेचुरेशन जांचने पर मिल सकता है कुछ कम लेवल।
डाक्टरों की राय
– घबराहट में 4 फीसदी तक घट जाता है ऑक्सीजन का सेचुरेशन लेवल
– छह या सात घंटे बाद ही पल्स ऑक्सीमीटर से जांचें ऑक्सीजन लेवल
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