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लखनऊ

AKTU कुलपति की चयन प्रक्रिया के खिलाफ दायर याचिका निरस्त

AKTU के कुलपति के चयन के लिए शासन द्वारा निर्धारित चयन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए दायर की गयी जनहित याचिका को गुण-दोष के आधार पर हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया गया है।

लखनऊAug 21, 2018 / 06:13 pm

Prashant Srivastava

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AKTU कुलपति की चयन प्रक्रिया के खिलाफ दायर याचिका निरस्त

लखनऊ. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति के चयन के लिए शासन द्वारा निर्धारित चयन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए दायर की गयी जनहित याचिका को गुण-दोष के आधार पर हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल बीते चार अगस्त को समाप्त होने वाला था। इसी को ध्यान में रखते हुए कुलाधिपति व राज्यपाल राम नाईक द्वारा चयन समिति का गठन कर चयन प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। चयन समिति में प्राविधिक शिक्षा विभाग, यूपी शासन के सचिव, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के प्रतिनिधि एवं कुलाधिपति के प्रतिनिधि नामित किये जाते हैं। वर्तमान चयन के लिए कुलाधिपति द्वारा प्रो. एसजी धांडे को कुलाधिपति प्रतिनिधि के रूप में नामित किया गया था।

अरूण सक्सेना द्वारा प्रो एसजी धांडे को नामित किये जाने के विरूद्ध एक जनहित याचिका संख्याः 19162 आफ 2018 मा0 उच्च न्यायालय में दायर की थी। मा0 उच्च न्यायालय की डबल बेंच ( राजेश सिंह चैहान एवं विक्रम नाथ ) ने मामले की सुनवाई के उपरांत अपने निर्णय में कहा कि रूल्स 1952 के चैप्टर 22 के रूल 1 की धारा 3 ए के प्राविधानों के विरूद्ध होने के कारण यह जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इस याचिका को गुण-दोष के आधार पर भी निरस्त करते हुए निर्णय में कहा गया है कि प्राविधिक विश्वविद्यालय पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नियमावली-2013 प्रभावी नहीं है क्योंकि प्राविधिक विश्वविद्यालय] विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से किसी प्रकार का वित्त पोषण प्राप्त नहीं करता है।

एकेटीयू प्रवक्ता ने बताया कि हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति के चयन हेतु निर्मित चयन समिति में प्रो. एसजी धांडे का चयन किसी प्रकार से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नियमावली-2013 के विरूद्ध नहीं है। अतः जनहित याचिका, स्वीकार्यता एवं गुण-दोष दोनों के आधार पर निरस्त की जाती है। विश्वविद्यालय की ओर से ब्रिजेश कुमार शुक्ला, डॉ एलपी मिश्रा व मनीष कुमार द्वारा विश्वविद्यालय का पक्ष हाईकोर्ट के सामने रखा गया।
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