विक्रम संवत – 2076 (गुजरात. 2075)
शक संवत -1941
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पूर्णिमा सुबह 10:02 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद रात्रि 10:56 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
योग – शूल 09:27 तक तत्पश्चात गण्ड
राहुकाल – सुबह 09:19 से सुबह 10:51 तक
सूर्योदय – 06:26
सूर्यास्त – 18:42
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
जल जरूर करें अर्पित पंडित पवन ने बतायाकि जब हम अपने पूर्वजों के नाम से कोई भी कार्य करते हैं तो उनको बहुत ख़ुशी मिलती हैं और उनका साथ आशीर्वाद हमेशा बना रहता हैं लेकिन समाज में ऐसे भी लोग हैं जो अपनी भागमभाग वाली ज़िन्दगी अपने पूर्वजों के लिए समय नहीं निकाल पाते और वो घर से आकर वापस चले जाते हैं।
इसलिए पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को सुबह जल्दी उठकर एक लोटे में काले तिल और अक्षत को लेकर जप अर्पित करें और अपने पितृ को याद करें साथ ही अपनी गलती की माफ़ी मांगे। फिर देखिये ऐसा करने से आपको फर्क खुद ही दिखने लगेगा। व्रत पर्व
पूर्णिमा संन्यासी चतुर्मास समाप्त, भागवत सप्ताह समाप्त, अंबाजी मेला, गौत्रिरात्रि व्रत समाप्त, गुरु अमरदासजी पुण्यतिथि (ति.अ.), राष्ट्रीयभाषा दिवस, प्रतिपदा का श्राद्ध
विशेष
पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38) पंडित पवन शास्त्री के अनुसार Shradh क्या है पंडित पवन शास्त्री ने कहाकि ब्रह्म पुराण के अनुसार जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम उचित विधि द्वारा ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दिया जाए वह श्राद्ध कहलाता है। उन्होंने बतायाकि श्राद्ध के माध्यम से पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है। पिण्ड रूप में पितरों को दिया गया भोजन Shradh का अहम हिस्सा होता है।
क्यों जरूरी है Shradh देना पंडित पवन शास्त्री ने कहाकि मान्यता है कि अगर पितर रुष्ट हो जाए तो मनुष्य को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पितरों की अशांति के कारण धन हानि और संतान पक्ष से समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।उन्होंने बतायाकि संतान-हीनता के मामलों में ज्योतिषी पितृ दोष को अवश्य देखते हैं। ऐसे लोगों को पितृ पक्ष के दौरान Shradh अवश्य करना चाहिए।
शास्त्री जी के अनुसार क्या दिया जाता है Shradh में उन्होंने कहाकि Shradh में तिल, चावल, जौ आदि को अधिक महत्त्व दिया जाता है। साथ ही पुराणों में इस बात का भी जिक्र है कि श्राद्ध का अधिकार केवल योग्य ब्राह्मणों को है। Shradh में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्त्व होता है। श्राद्ध में पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोज्य पदार्थ को पिंडी रूप में अर्पित करना चाहिए। श्राद्ध का अधिकार पुत्र, भाई, पौत्र, प्रपौत्र समेत महिलाओं को भी होता है।