राज्य सरकार ने अभी तक गन्ना का समर्थन मूल्य नहीं घोषित किया है। यद्यपि 2019-20 का पेराई सत्र चालू हो गया है। खाद, पानी, बिजली, कीटनाशक सभी मदों की कीमतें बहुत बढ़ गई है। पिछली फसलों में हुए नुकसान के चलते किसान कर्ज में डूबा हुआ है। परेशानी और अवसाद में सैकड़ों किसान आत्महत्या तक कर चुके हैं। चीनी मिल मालिक गन्ना किसानों के साथ बेरूखी से पेश आ रहे हैं। किसान की व्यथा सुनने वाला कोई नहीं।
एक मोटे अनुमान के अनुसार गन्ना किसानों को 450 रू0 का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। समाजवादी सरकार ने गन्ना किसानों को एक मुश्त 40 रूपए बढ़ाकर दिए थे। BJP Government ने समर्थन मूल्य तो छोड़िए उनका पुराना बकाया भी नहीं दिया है। गतवर्ष का लगभग पांच हजार करोड़ रूपये गन्ना किसानों का बकाया है। BJP Government चीनी मिल मालिकों के प्रभाव में है। गन्ना बकाया का भुगतान करने वाली चीनी मिलों को इसलिए छूट मिली हुई है। वे किसानों की रकम पर कुंडली मारकर बैठी है।
धान खरीद में भी BJP Government की किसान विरोधी नीति उजागर होती है। धान के क्रय केन्द्र अभी तक नहीं खुले हैं। धान की लूट शुरू हो गई है। दलाल और आढ़तिए किसानों को औने-पौने दाम में अपनी फसल बेचने को मजबूर कर रहे हैं। यही हाल आलू किसानों का है। BJP Government इन किसानों की बर्बादी की जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है।
B J P ने बारम्बार यह भरोसा दिलाया कि वह किसानों की आय दुगनी करेगी। अभी तक तो उसकी ऐसी कोई योजना सामने नहीं आई है। उत्पादन लागत से डेढ़ गुना फसल की कीमत तो छोड़िए उत्पादन लागत भी किसानों को नहीं मिल रही है। किसान बदहाली और कर्ज की जिंदगी जीने को अभिशप्त है। यह सब B J P का किया धरा है। सरकारों को छल-कपट की राजनीति नहीं करनी चाहिए। वादा खिलाफी भी भ्रष्टाचार ही है, इसमें B J P महारत हासिल कर चुकी है। जनता सब समझती है और वक्त आने पर सही सबक भी सिखा देती है।