खत्म नहीं हुई मूर्ति पर राजनीति राम मंदिर भूमिपूजन के साथ लग रहा था कि अब उत्तर प्रदेश में मंदिर या मूर्ति को लेकर राजनीति खत्म हो गई है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वैसे इस बार भी राजनीति के केंद्र में राम हैं लेकिन जय सिया राम वाले नहीं बल्कि ब्राह्मण समाज की आस्था के प्रतीक माने जाने वाले परशुराम हैं। एक तरफ समाजवादी पार्टी परशुराम की 108 फीट ऊंची मूर्ति लगाना चाहती है। तो अखिलेश की ये बात उनकी विरोधी बीएसपी चीफ मायावती को पसंद नहीं आई। मायावती समाजवादियों से दो कदम आगे और भी भव्य मूर्ति बनवाना चाहती हैं। तो वहीं कांग्रेस भी इसी होड़ में शामिल दिख रही है। कांग्रेस ने परशुराम जयंती पर सरकारी छुट्टी घोषित करने की मांग उठाई है।
निशाने पर ब्राह्मण मतदाता दरअसल, उत्तर प्रदेश में क़रीब 12 फ़ीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं और यही वजह है कि हर पार्टी इस वर्ग को अपनी ओर खींचने की कोशिश में है। जब राम मंदिर भूमिपूजन के मौके पर करीब-करीब सभी राजनीतिक पार्टियां राम का जयकारा लगा रही थी, उस वक्त समाजवादी पार्टी राम के साथ-साथ परशुराम को भी सियासत का केंद्र बना दिया। अखिलेश यादव ने परशुराम की 108 फीट ऊंची मूर्ति लगाने की बात कही। अखिलेश की ये बात उनकी विरोधी बीएसपी चीफ मायावती को पसंद नहीं आई और उन्होंने कहा कि बसपा सरकार बनने पर ब्राह्मण समाज की मांग को देखते हुए श्री परशुराम की मूर्ति हर मामले में समाजवादी पार्टी से बड़ी और भव्य लगाई जाएगी।
2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में हर कोई अपने-अपने सियासी राम को ढूंढ़ने में लगा है। बीजेपी राम मंदिर के सहारे आगे बढ़ रही है, ऐसे में बाकी पार्टियों ने भी अपना-अपना राम ढूंढ़कर चुनावी मैदान में उतरने का मन बना लिया है। जिससे दलित, ओबीसी और मुसलमानों के साथ ब्राह्मण वोटों को भी अपने पक्ष में खींचा जा सके।
अपनी मूर्तियों पर घिरी मायावती वहीं इस बीच लखनऊ में बसपा शासन काल में बनाए गए बहुजन प्रेरणा केंद्र पर बसपा सुप्रीमो मायावती की मूर्ति लगाए जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है। विपक्षी पार्टियों मायावती पर तंज कस रही हैं। मूर्तियों पर चल रहे काम के वीडियो सुर्खियों में छाए हैं। इस बीच पूरे मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती ने ताबड़तोड़ तीन ट्वीट करके सफाई दी है। मायावती ने कहा है कि लखनऊ प्रेरणा केंद्र पर किसी तरह की कोई नई मूर्ति नहीं लगाई जा रही है बल्कि मूर्तियों का रख-रखाव बेहतर हो सके इसलिए रिनोवेशन का काम चल रहा है।