आयोग ने विद्युत समस्या जैसे ब्रेक डाउन, केबल फाल्ट, ट्रांसफार्मर, नया कनेक्शन, मीटर रीडिंग, लोड घटना व बढ़ाना तथा अन्य मामलों पर जवाबदेही तय की है। विद्युत वितरण संहिता 2005 में पहले से ही इसके लिए नियत समय तय है। इसके बावजूद तय समय में सेवा नहीं दी जाती है। इस मनमानी के कारण आयोग ने उपभोक्ताओं के हित में बिजली कंपनियों की जवाबदेही तय की है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा के अनुसार, आयोग ने स्टैंडर्ड ऑफ पर्फारमेंस रेग्युलेशन 2019 का प्रस्तावित ड्राफ्ट जारी किया है। एक नवंबर तक सभी पक्षों की राय मांगी गई है।
60 दिन में मिले मुआवजा प्रस्तावित ड्राफ्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि उपभोक्ता को 60 दिन के भीतर मुआवजा दिया जाए। किसी भी उपभोक्ता को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज व डिमांड चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
किस समस्या पर कितना मुआवजा वोल्टेड अपडाउन: 100 रुपये/दिन लो वोल्टेज: 250 रुपये/दिन मीटर रीडिंग न होने पर: 200 रुपये/दिन खराब मीटर: 50 रुपये/दिन बिलिंग में गड़बड़ी: 50 रुपये/दिन
लोड घटने/बढ़ने: 50 रुपये/दिन ट्रांसफॉर्मर फेल होने: 150 रुपये/दिन अंडर ग्राउंड केबल ब्रेकडाउन: 100 रुपये/दिन कॉल सेंटर से रेस्पॉन्स न मिलने पर: 50 रुपये/दिन
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