केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि उज्ज्वला योजना के तहत अब तक 3.16 करोड़ नि:शुल्क गैस कनेक्शन बांटे जा चुके हैं। 2022 तक आठ करोड़ परिवारों को इस योजना से लाभान्वित किये जाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि अभी तक 2011 के आर्थिक-सामाजिक सर्वेक्षण के आधार पर ही उज्ज्वला योजना का लाभ दिया जा रहा था। लेकिन बीजेपी की चौपालों में सामने आया है कि अभी भी बड़ी संख्या लोग इस योजना से वंचित हैं। इसलिये सरकार अब सभी अति पिछड़ों, अति दलित और अनुसूचित जाति/जनजाति परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत नि:शुल्क गैस कनेक्शन बांटेगी।
मिशन 2019 फतेह के लिये सभी दलों के लिये ओबीसी वोटर अहम हैं। पार्टियों की कोशिश जातियों व उपजातियों के मकड़जाल से वोट निकालने पर है। सबसे बड़े जाति समूह ओबीसी वोटर को अपने खेमेमें लाने के लिये सरकार जहां उज्ज्वला योजना का लाभ पिछड़ों को देने जा रही है वहीं, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने की कोशिश इसी रणनीति का अहम हिस्सा है। भाजपा इसे कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग सम्मेलन की काट के तौर पर सामने ला रही है।
यूपी में ओबीसी वोटरों की संख्या कुल आबादी की करीब 42-45 फीसदी है। इनमें यादव 10 फीसदी, लोधी 3-4 फीसदी, कुर्मी-मौर्य 4-5 फीसदी और अन्य का प्रतिशत 21 फीसदी है। दूसरी जातियों में दलित वोटर 21-22 फीसदी, सवर्ण वोटर 18-20 फीसदी और मुस्लिम वोटर 16-18 फीसदी हैं। ऐसे में ओबीसी यूपी में सबसे बड़ा जाति समूह है। यह अकेले किसी को जिताने-हराने में सक्षम हैं। इसलिये हर दल गुणा-भाग के जरिये इन्हें अपने खेमे में रखना चाहता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में 34 फीसदी ओबीसी मतदाताओं ने बीजेपी के पक्ष में वोट किया था।