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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के एक साल पूरे, जानिए उनके कार्यकाल की खास बात

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एक साल पूरे, जानिए उनके कार्यकाल की खास बात

लखनऊJul 22, 2018 / 10:26 am

Ruchi Sharma

kovind

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एक साल पूरे, जानिए उनके कार्यकाल की खास बात

लखनऊ. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को सेंट्रल हॉल में शपथ ग्रहण की थी। २५ जुलाई को राष्ट्रपति पद संभाले उनको एक साल पूरा हो जाएगा। वह भारत के 14वें राष्ट्रपति हैं। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को हराकर शानदार जीत दर्ज की थी।
कोविंद राष्ट्रपति चुने जाने की पहली वर्षगांठ छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के बीच मनाना चाहते हैं। इसके लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा और जगदलपुर प्रवास पर आने वाले हैं। राष्ट्रपति का बस्तर में दो दिवसीय प्रवास होगा। राष्ट्रपति दंतेवाड़ा और जगदलपुर में कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे।

आइए जानते हैं उनके प्रमुख बयान

-आईआईटी खड़गपुर के 64 वें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि लड़कियां बोर्ड परीक्षाओं, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लड़कों को अक्सर पछाड़ देती हैं, लेकिन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में उनकी संख्या ‘दुखद रूप से कम’ है और इसे बढ़ाने की जरूरत है।
-राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर दिया बयान, कहा कि अगले दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था नई उड़ान भरने को तैयार है और 2025 तक देश की जीडीपी का आकार दोगुना होकर पांच हजार अरब डॉलर होने की उम्मीद है।’’ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बनाने की भी कोशिश कर रहा है।
-संत कबीर जयंती कार्यक्रम में उन्होंने कहा, हरियाणा सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान काफी सफल रहा है इसको लेकर में सरकार को बधाई देते हैं।
2002 में संयुक्त राष्ट्र के महासभा को किया संबोधित


कोविंद गवर्नर्स ऑफ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के भी सदस्य रहे हैं। 2002 में कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र के महासभा को संबोधित किया। कोविंद ने कई देशों की यात्रा भी की है।
दलित चेहरे रूप में रही पहचान

कोविंद की पहचान एक दलित चेहरे के रूप में अहम रही है। छात्र जीवन में कोविंद ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए काम किया।12 साल की सांसदी में कोविंद ने शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों को उठाया। ऐसा कहा जाता है कि वकील रहने के दौरान कोविंद ने ग़रीब दलितों के लिए मुफ़्त में क़ानूनी लड़ाई लड़ी।
परिवार में सबसे छोटे थे कोविंद


पांच भाई व दो बहनों में सबसे छोटे रामनाथ कोविंद थे। बड़े भाईयों ने इनके अंदर कुछ बनने का जज्बा देखा तो इन्हें कानपुर पढ़ने के लिए भेज दिया। जहां ये अपनी बड़ी बहन के घर पर रहकर स्नातक की पढ़ाई करते थे। संघ विचारधारा के स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान इनकी मुलाकात संघ के नेताओं से हो गई और 1977 में ये संघ से जुड़ गए। गीतानगर निवासी राजेंद्र खरे बताते हैं कि संघ की एक बैठक का आयोजन जयनरायण स्कूल में हुआ, तब कोविंद जी भी मौजूद थे। उस वक्त उन्होंने अपने मन की बात कही थी। राजेंद्र बताते हैं कि वो धारा 372 के खिलाफ थे और महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर विराम लगे, इस पर कड़ा कानून लाने के पक्ष में हर समय बेबाकी से अपनी बात रखते हैं।

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