नाबालिग बच्चों की सुरक्षा को लेकर वुमेन पॉवर लाइन 1090 में सेव द चिल्ड्रेन समेत अन्य एनजीओ ने की मौजूदगी में चर्चा हुई। वहीं सेव द चिल्ड्रेन ने एक महीने के लिए शुरूआती तौर पर जेंडर आधारित हिंसा के मुद्दें पर कार्य योजना तैयार की है। इस योजना के तरह करीब एक हफ्ते के अंदर ही एनजीओ लखनऊ के सात थानों में जा कर पुलिसकर्मियों को नाबालिग बच्चों से जुड़े हिंसा में आवश्यक कार्रवाई की जानकारी देंगे। वहीं बच्चों की शिकायतों के निवारण के लिए एक विशेष कार्रवाई चार्ट प्रत्येक थाने में लगाया जाएगा।
महिलाओं के खिलाफ नहीं थम रहे अपराध
वूमन पावर लाइन के कार्यक्रम विश्व बैंक द्वारा 2013 में हुए एक अध्यन की खुलासा करते हुए कि बताया कि भारत में प्रतिदिन औसतन 92 महिलाओं के साथ बलात्कार होता है, जिसमें एक अन्य शर्मनाक बात सामने आई है कि रोजना होने वाले बलात्कार में औसतन 23 नाबालिग बच्चियां इसका शिकार बनती है। वहीं बताया गया कि 15 से 49 आयु वर्ग की एक तिहाई महिलाओं ने शारीरिक हिंसा का समाना किया है। वहीं 10 में से 1 महिला यौन हिंसा का शिकार बनती है। फिलहाल यूपी में करीब चार करोड़ बच्चों की आबादी है। जिन पर कहीं न कहीं यौंन व शरीरिक हिंसा करने वालों की नज़रे भी गड़ी रहती है।
1090 में भी बच्चों की समस्याओं का होगा निवारण
आईजी वूमन पावर लाइन नवनीत सिंह सीकेरा ने बताया कि विभिन्न एनजीओ की मदद से महिलाओं और बच्चियों की समस्याओं व हिंसात्क परेशानियों को दूर करने का काम कर रहे हैं। वहीं जल्द ही नाबालिग बच्चों की समस्या भी वूमन पावर लाइन दूर करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि चार साल में वूमन पावर लाइन में 8.50 लाख महिलाओं की समस्या का समाधान किया गया। उन्होंने कहा कि हर रोज औसत 8 से 10 हजार कॉल मिल रहे हैं, जिनकी परेशानी का हल निकाला व समाधान किया जा रहा है।