राज्य सरकार एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 2300 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमी लाएगी। पहले एक्सप्रेस-वे की निर्माण लागत 14,100 करोड़ रुपये अनुमानित थी। जिसे घटाकर यूपीडा ने 11,800 करोड़ कर दिया है। एक्सप्रेस-वे के 8 पैकेजों के निर्माण में रुचि दिखाने वाली 12 कंपनियों से यूपीडा ने फाइनेंशल बिड मांगा ली है। कंपनियों को 30 अप्रैल तक फाइनेंशल बिड देनी है। कंपनियों को पैकेज अलॉट होने के बाद एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए राज्य सरकार बैंकों और वित्तीय संस्थानों से सस्ता कर्ज लेगी। एक्सप्रेस-वे के लिए किन संस्थाओं से कर्ज लिया जाएगा, इसके लिए कैबिनेट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दी है। यह कमेटी एक महीने के अंदर सस्ता कर्ज देने वाले संस्थान का चुनाव करेगी। सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि राज्य सरकार के सामने एक्सप्रेस-वे के लिए एशियन डिवेलपमेंट बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने का विकल्प है। एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए जो कर्ज यूपीडा लेगी। उस कर्ज की गारंटी राज्य सरकार लेगी।
लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, अम्बेडकरनगर, सुलतानपुर, अमेठी, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर से होकर गुजरेगा एक्सप्रेस-वे
-एक्सप्रेस-वे के लिए राज्य सरकार ने बजट में 1,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।
-6400 करोड़ रुपये से खरीदी गई एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन।