12 साल बाद ‘राजा’ को मिलेगा चार बक्सों में बंद खजाना
लखनऊPublished: Oct 22, 2015 10:10:00 am
मायावती के शासनकाल में जब्त हुए राजा भैया के खजाने को जिलाधिकारी कार्यालय से मुक्त करने की अनापत्ति आयकर विभाग से मिल गई है।
राघवेंद्र प्रताप सिंह
लखनऊ. यूपी के कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया परिवार का आयकर विभाग द्वारा जब्त किया हुआ बहुमूल्य खजाना 12 साल बाद वापस मिलने जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती सरकार में राजा उदय प्रताप सिह व राजा भैया के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई के बाद इस खजाने को जब्त किया गया था। जिलाधिकारी कार्यालय को अब इस खजाने को मुक्त करने की अनापत्ति आयकर विभाग से मिल गई है। 2002 से आयकर विभाग के निर्देश पर चार बक्सों में इस खजाने को प्रतापगढ़ के कोषागार में जमा कराया गया था।
माया के खिलाफ बागी विधायकों का दिया था साथ
2002 में मायावती सरकार के दौरान निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह ने भाजपा के बागी विधायकों के साथ बसपा सरकार गिराने में साथ दिया था। दो नवंबर, 2002 को विधायक पूरन सिह बुंदेला को धमकी देने का मुकदमा लखनऊ में दर्ज कर रघुराज प्रताप को जेल भेज दिया गया था। इसके बाद रघुराज और उनके पिता उदय प्रताप सिह, भाई एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपालजी पर मुकदमों की झड़ी लग गई। कुछ समय बाद ही गोपालजी, तत्कालीन विधायक रामनाथ सरोज समेत रघुराज प्रताप के करीबियों को जेल भेज दिया गया। गैंगेस्टर की कार्रवाई के दौरान ही भदरी राजमहल से करोड़ों का खजाना और कीमती रत्न जब्त किया गया था।
राजा के तालाब में पले थे मगरमच्छ
मायावाती ने राजा भैया को जेल के अंदर भेजने के बाद उन पर पोटा भी लगा दिया। हालांकि, अब ये कानून खत्म हो चुका है। मायावती ने राजा के प्रतापगढ़ स्थित एक तालाब की जब खुदाई करवाई तो वहां सैकड़ों नर कंकाल निकले थे। कहा जाता है कि इस तालाब में मगरमच्छ पाले जाते थे और उनके दुष्मनों को मौत मिलती थी।
मुलायम सिंह ने हटवाया पोटा
2003 में सपा की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री मुलायम सिह यादव ने रघुराज प्रताप, उनके पिता राजा उदय सिह, गोपालजी पर लगे पोटा के मुकदमे को वापस करवाया। इस दौरान लगभग साढ़े 18 महीने जेल में रहने के बाद रघुराज प्रताप और साढ़े 13 महीने जेल में रहने के बाद उदय प्रताप सिह मई 2004 में रिहा हुए।
इस संबंध में प्रतापगढ़ के डीएम अमृत त्रिपाठी ने बताया कि कोषागार में जमा खजाना आयकर विभाग और राजपरिवार के बीच का मामला है। आयाकर विभाग से खजाने के संबंध में पत्र मिल है। अग्रिम कार्यवाही के लिए आयकर कर्यालय इलाहाबाद और लखनऊ से पत्राचार किया जा रहा है। सभी जरूरी कानूनी कार्रवाई पूरा करने के बाद खजाना रिलीज कर दिया जाएगा।