उन्होंने कहा कि जिस प्रकार स्वतंत्रता दिवस लाखों बलिदानों और स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है, उसी तरह राम मंदिर का निर्माण कई पीढ़ियों के अखंड तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है। 1990 के बाद मंदिर आंदोलन में ओज का आधार बन चुके “जय श्रीराम” के नारे से इतर “जय सियाराम” के नारे को अधिक महत्व दिया। अपने उद्बोधन को सियावर रामचंद्र की जय कह के तीन बार जय सियाराम का घोष किया। मोदी ने कहा कि आज पूरा भारत राममय, दीपमय, रोमांचित और भावुक है।सदियों का इंतजार खत्म हुआ। स्वतंत्रता आंदोलन की तरह राममंदिर आंदोलन चला। जिन्होंने मंदिर के लिए त्याग-तपस्या की उनको वंदन है नमन है।
अनेक बार इसका अस्तित्व मिटाने का प्रयास हुआ लेकिन राम आज भी हमारे मन में है।श्रीराम भारत की मर्यादा, मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। अब इस क्षेत्र में अवसर बढ़ेंगे, अवसर बनेंगे। राममंदिर निर्माण राष्ट्र को जोड़ने का प्रतीक है।युगों-युगों तक दिगदिगंत तक भारत का पताका फहरायेगा। सत्य, अहिंसा, आस्था, बलिदान का भारत को अनुपम भेंट हैं। श्रीराम हमारी संस्कृति का आधार हैं। देश भर से घर-घर, गांव-गांव से राम शिलाएं आयी हैं। श्रीराम सम्पूर्ण हैं, प्रकाश स्तंभ हैं।यह दिन करोड़ों देशवासियों की सत्यता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि ताकतवर भारत ही समर्थ भारत बनेगा। श्रीराम की यही नीति सदियों से हमारा मार्गदर्शक है। राम परिवर्तन और आधुनिकता के पक्षधर हैं। राम से भटके तो विनाश हुआ है। राम ने विरोध से निकलकर शोध का मार्ग दिखाया है।
जब-जब राम को माना विकास हुआ, भटके को विनाश हुआ। उन्होंने कहा कि सबके साथ मिलकर सबका विकास करना है, आत्मनिर्भर भारत बनाना है। कोरोना काल में उससे बचने के लिए जागरूक किया और बोला कि “दोगज की दूरी-मास्क है जरूरी है”। फिर कहा कि सब लोग श्रीराम की तरह मर्यादा का पालन करें। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला ये भव्य राममंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा। मुझे विश्वास है कि यहां निर्मित होने वाला राममंदिर अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा।
जिस तरह गिलहरी से लेकर बानर, केवट से लेकर वनवासी वन्धुओं को भगवान राम के विजय का माध्यम बनने का सौभग्य मिला, जिस तरह छोटे-छोटे ग्वालों ने भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन उठाने में बड़ी भूमिका निभाया, जिस तरह मलवे छत्रपति वीर शिवाजी महाराज के स्वराज स्थापना के निमित्त बने, जिस तरह गरीब, पिछड़े विदेशी आक्रांताओं के साथ लड़ाई में महाराजा सुहेलदेव के बल बने, जिस तरह दलित, पिछड़े, आदिवासी व समाज के हर वर्ग ने आजादी की लड़ाई में गांधी जी को सहयोग दिये उसी तरह आज देश भर के लोगों के सहयोग से राममंदिर के निर्माण का पुण्य कार्य प्रारंभ हुआ है।
जिस तरह पत्थरों पर श्रीराम लिख-लिख कर रामसेतु बन गया वैसे ही घर-घर से गांव-गांव से श्रद्धापूर्वक पूजी गयी शिलायें यहां ऊर्जा का श्रोत बन गयी है। हमें ये भी सुनिश्चित करना है कि भगवान श्रीराम का संदेश, राममंदिर का संदेश, हमारी हजारों सालों की परंपरा का संदेश, कैसे पूरे विश्व तक निरंतर पहुंचे, कैसे हमारे ज्ञान, हमारी जीवन-दृष्टि से विश्व परिचित हो, ये हमारी, हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों की ज़िम्मेदारी है।उन्होंने कहा कि जहां-जहां राम के चरण पड़े उन्हें जोड़ते हुए राम सर्किट का निर्माण हो रहा है।
राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते हैं, सोचते हैं, करते हैं, राम हमें समय के साथ बढ़ना सिखाते हैं, चलना सिखाते हैं, राम परिवर्तन के पक्षधर हैं, उन्होंने जोर देकर बोला कि राम आधुनिकता के पक्षधर हैं, उनकी इन्हीं प्रेरणाओं के साथ, श्रीराम के आदर्शों के साथ भारत आज आगे बढ़ रहा है।
राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते हैं, सोचते हैं, करते हैं, राम हमें समय के साथ बढ़ना सिखाते हैं, चलना सिखाते हैं, राम परिवर्तन के पक्षधर हैं, उन्होंने जोर देकर बोला कि राम आधुनिकता के पक्षधर हैं, उनकी इन्हीं प्रेरणाओं के साथ, श्रीराम के आदर्शों के साथ भारत आज आगे बढ़ रहा है।
इस मंदिर के साथ नया इतिहास नहीं बन रहा है बल्कि इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है।मोदी ने मुस्लिम देश इंडोनेशिया में राम की महत्ता का वर्णन किया साथ ही उन देशों का कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड आदि का उदाहरण दिया जहां-जहां लोग अपनी स्थानीय भाषाओं में रामायण को पढ़ते हैं।देश के विभिन्न प्रान्तों में अलग-अलग भाषाओं में लिखे रामायण की महत्ता को सिद्ध किया कि अलग-अलग समाज मे रामायण कैसे सबका मार्गदर्शन करता है।